नई दिल्ली. आतंकवाद भारत की बहुत पुरानी समस्या है जो न केवल जम्मू-कश्मीर में जड़ें जमा चुकी है बल्कि नक्सलवादियों के रूप में भारत के कुछ राज्यों में हिंसा का खेल खेल रही है. ऐसे में अब समय आ चुका है जब भारत इसके खिलाफ कठोर कदम उठाये ताकि इस समस्या का जड़ से खात्मा किया जा सके. इंडियन चीफ ऑफ़ डिफेन्स सर्विसेस जनरल विपिन रावत की इस समस्या को लेकर गंभीरता उनके हालिया बयान से ज़ाहिर हुई है.
''अमरीकी शैली में ही आतंकवाद का खात्मा हो सकता है''
सीडीएस जनरल विपिन रावत ने रायसीना डायलाग कार्यक्रम में ये बात कही. इस मंच से आतंक के खात्मे के लिए अमरीकी शैली को अपनाने की बात से ज़ाहिर हो चुका है कि भारत आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के मूड में है. आतंकवाद, अतिवाद, कट्टरता, सेना पर पत्थरबाजी और पैलेटगन का उपयोग आदि तमाम विषयों पर अपनी राय सामने रखते हुए जनरल रावत ने साफ़ किया कि शिक्षा के मंदिरों में भी लोग कट्टरता का पाठ पढ़ रहे हैं. ऐसे में भारत के पास आंतकवाद के खात्मे के लिए अमेरिकी शैली से बेहतर कोई विकल्प नहीं है.
देश में चल रहे हैं रेडिकलाइजेशन के कैम्प
एक अहम जानकारी देते हुए देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा कि देश में कई जगहों पर रैडिकलाइजेशन कार्यक्रम चल रहे हैं जो कि आने वाले समय में देश के लिये चुनौती बन सकते हैं. कश्मीर की मिसाल देते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर में पत्थरबाज पत्थर उठाने के लिए झुकते हैं, इसलिए उनके चेहरों पर पैलेट गन लगती है.
आतंकियों का साथ देने वालों पर करनी होगी कड़ी कार्रवाई
जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि आतंकवाद भारत की ही नहीं दुनिया की भी बड़ी समस्या है. दुनिया से आतंकवाद के खात्मे के लिए आतंकवादियों और उनका साथ देने वालों पर कड़ी कार्रवाई करनी पड़ेगी.
''छेड़ना होगा आतंक के विरुद्ध वैश्विक युद्ध ''
जनरल रावत ने कहा कि अमरीका का आतंकवाद को खत्म करने का तरीका सबसे ज्यादा असरदार है. अमेरिका ने 9/11 हमले के बाद यही तरीका अपनाया और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध छेड़ दिया. सबसे ख़ास बात जो जनरल रावत ने कही वो ये थी कि 'आतंकवाद के खात्मे के लिए आतंकवादियों के साथ-साथ उन सभी को पर कार्रवाई करनी होगी जो आतंकवाद के लिए पैसा देते हैं और आतंकियों का बचाव करते हैं.'