अखंड भारत की दिशा में प्रथम कदम - भारतीय मौसम के पूर्वानुमान में पीओके शामिल

भारत के मौसम बुलेटिन में अब पीओके के साथ ही गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद भी देखे जाएंगे. देशप्रेमियों के लिये ये बहुत बड़ी खुशखबरी है जो सिर्फ मोदी-राज में ही मिल सकती थी भारतवासियों को..और इस खुशखबरी को सबसे पहले अस्तित्वमान बनाया है भारत के मौसम विभाग ने इन क्षेत्रों को अपने मौसमी बुलेटिन का हिस्सा बना कर..  

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : May 7, 2020, 08:53 PM IST
    • मौसम के पूर्वानुमान में शामिल कर लिया गया है पीओके, गिलगित और बाल्टिस्तान को
    • विभाग के अधिकारियों ने देश को दी जानकारी
    • भारतीय विदेश मन्त्रालय ने पाकिस्तान को दी चेतावनी
    • उत्तरी क्षेत्र है गिलगित-बाल्टिस्तान और दक्षिणी क्षेत्र है पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर
अखंड भारत की दिशा में प्रथम कदम - भारतीय मौसम के पूर्वानुमान में पीओके शामिल

नई दिल्ली.  कर्मयोगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद से भारत ने बहुमुखी विकास के आयाम छुए हैं. विश्वगुरु बनने की दिशा में बढ़ते भारतवर्ष के लिए अखंड भारतवर्ष का एजेंडा अपनी राष्ट्रवादी महत्वांक्षाओं की सूची में इतना शीघ्र आने वाला पड़ाव नहीं था लेकिन बदमिजाज पाकिस्तान की बदतमीजियों ने भारत को विवश कर दिया है कि भारत की वक्र दृष्टि अब उस तरफ पड़ने लगी है जहां पाकिस्तान का भारत के हाथों उद्धार होना तय लगने लगा है.

मौसम के पूर्वानुमान में शामिल पीओके 

भारतीय मौसम विभाग ने पाकिस्तान को बता दिया है कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है. और दुनिया को भारत ने बता दिया है कि इस विषय में किसी को कोई संदेह की गुन्जाइश नहीं होनी चाहिये. अब भारत ने अघोषित-घोषणा कर दी है और भारत के प्रादेशिक मौसम विज्ञान केंद्र ने व्यावहारिक रूप से इस सत्य को सिद्ध करते हुए अपने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के क्षेत्रों को भी अब अपने मौसम के पूर्वानुमान में स्थान दिया है.  पांच मई के बाद से अब आप भारतीय मौसम विभाग के बुलेटिन में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के साथ अब गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद के मौसम का हाल भी जान सकेंगे.

विभाग के अधिकारियों ने दी जानकारी 

भारतीय मौसम विभाग के अधिकारियों ने इस आशय की जानकारी मीडिया से साझा की है. ज़ाहिर है, गृह मंत्रालय से ये आदेश इस विभाग को आया है इसलिए गृह मंत्रालय को भारतीय नागरिकों का लोकप्रिय मीडिया मंच ज़ी न्यूज़ इस ऐतिहासिक भूल सुधार की दिशा में प्रयासों के शुभारंभ हेतु धन्यवाद देना चाहता है. भारत अपने विशाल ऐतिहासिक भूखंड की पुनर्प्राप्ति की दिशा में प्रथम कदम बढ़ा चुका है. 

पाकिस्तान को दी चेतावनी भारत ने  

हाल ही में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने 2018 के गवर्नमेंट ऑफ गिलगित बाल्टिस्तान ऑर्डर में संशोधन की इजाजत का आदेश जारी किया था और इस क्षेत्र में आम चुनाव कराने का हुक्म दिया था. ज़ाहिर है भारत ने तुरंत इस पर आपत्ति की और भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ़ तौर पर कह दिया कि गिलगित- बाल्टिस्तान सहित पूरा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं, इसलिए इन क्षेत्रों को  पाकिस्तान को अपने अवैध कब्जे से तुरंत स्वतंत्र करना चाहिए.  पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान को भारत का अभिन्न अंग बता कर चेतावनी देना पाकिस्तान को भारत की अखंड भारत के लक्ष्य की दिशा में प्रथम कदम थी और अब भारतीय मौसम के पूर्वानुमान में गिलगित-बाल्टिस्तान का सम्मिलित किया जाना इस निश्चय का सत्यापन है. 

 

क्या है पाक-अधिकृत कश्मीर

पाक-अधिकृत कश्मीर अर्थात पीओके मूल कश्मीर का वह हिस्सा जिस पर पाकिस्तान ने 1947 में आक्रमण करके अधिकार कर लिया था.  पाकिस्तान ने भारत के इस क्षेत्र को भारत और पाकिस्तान के बीच का विवादित क्षेत्र बना रखा है. इसे आज़ाद कश्मीर नाम पाकिस्तान ने दिया है. पीओके की सीमाएं पाकिस्तानी पंजाब एवं उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत से पश्चिम में, उत्तर पश्चिम में अफ़गानिस्तान के वाखान गलियारे से, चीन के ज़िन्जियांग उयघूर स्वायत्त क्षेत्र से उत्तर और भारतीय कश्मीर से पूर्व में लगती हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ ने चालीस लाख लोगों जनसंख्या वाले इस क्षेत्र को विवादित बनाये रखने की विषैली नीयत से इसे पाक-प्रशासित कश्मीर के रूप में रेखांकित किया.

उत्तरी क्षेत्र है गिलगित-बाल्टिस्तान

पाक-कब्जाये-कश्मीर के पूर्व के बहुत बड़े कश्मीरी क्षेत्र में पूर्व कश्मीर राज्य के भाग होने के साथ ही ट्रांस-काराकोरम ट्रैक्ट भी है जिसे उठा कर पाकिस्तान ने चीन को तोहफे में दे दिया था. चीन को दिये गये कश्मीरी तोहफे वाले क्षेत्र के चारों तरफ फैले विशाल कश्मीरी क्षेत्र को उत्तरी क्षेत्र का नाम दिया गया था, इसे भी पाकिस्तान ने कब्जिया लिया था. नौ ज़िलों वाला लगभग तिहत्तर हजार किलोमीटर क्षेत्रफल के इस मूल कश्मीरी क्षेत्र की जनसंख्या लगभग दस लाख है. इस मुद्दे पर पाकिस्तान और भारत के बीच १९४७ में युद्ध भी हुआ था जिसका परिणाम घोषित रूप से भारत के पक्ष में नहीं रहा और यथास्थिति बनाये रखी गई थी.

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