नई दिल्ली: किसी भी आम सास-बहू की तरह इंदिरा गांधी और मेनका गांधी के रिश्ते की शुरुआत बेहद खूबसूरत थी, लेकिन आखिर क्या हुआ कि रिश्ते को डोर टूट गई. इंदिरा की पुण्यतिथि पर जानते हैं मेनका से उनके रिश्तों की कहानी.
कॉकटेल पार्टी में मिले थे संजय और मेनका
संजय ने मेनका गांधी को विज्ञापन में देखा और देखते ही चाहने लगे. 14 दिसंबर 1973 को मेनका के अंकल मेजर जनरल कपूर ने अपने बेटे वीनू की शादी के लिए कॉकटेल पार्टी दी थी. इसी पार्टी में मेनका और संजय पहली बार को मिले थे.
मेनका की उम्र उस समय 17 साल थी. मेनका काफी खूबसूरत और आकर्षक थीं. अपनी खूबसूरती के चलते उन्होंने कॉलेज का ब्यूटी कॉन्टेस्ट भी जीता था.
पहली मुलाकात के बाद दोनों मिलने लगे. कहा जाता है कि संजय को ऐसी जगह जाना पसंद नहीं था जहां लोग उन्हें देखें और पहचान लें इसलिए वो मेनका के घर पर ही उनसे मिलते थे.
उस समय काफी डरी हुई थीं मेनका
साल 1974 में संजय गांधी ने मेनका को अपने घर यानी 1 सफदरजंग रोड पर खाने पर बुलाया. मेनका भारत की प्रधानमंत्री से मिल रही थीं इसलिए काफी डरी हुई थीं.
कहा जाता है कि इंदिरा गांधी कभी नहीं चाहती थीं कि वो अपने बेटों को शादी के लिए किसी लड़की से मिलवाएं. अपने बड़े बेटे की तरह ही वो चाहती थीं कि उनके छोटे बेटे भी अपनी पसंद की लड़की से शादी करें.
संजय मेनका को पसंद करते थे इसलिए इंदिरा गांधी के पास उसे नापसंद करने की कोई वजह नहीं थी. आखिरकार दोनों ने 23 सितंबर 1974 को शादी कर ली.
शादी में इंदिरा गांधी ने मेनका को बहुत से तोहफे दिए. जिनमें 21 महंगी साड़ियां, दो सोने के सेट (गोल्ड सेट), लहंगा और एक खादी की साड़ी थी, जो उनके पिता जवाहरलाल नेहरू ने जेल में रहते हुए बनाई थी.
काफी सुर्खियों में रहा जोड़ा
शादी के बाद ये जोड़ा मीडिया की सुर्खियां बना रहा. मेनका कई बार राजनीतिक कार्यक्रमों में भी जाया करती थीं. पर साल 1980 में संजय गांधी का विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई.
संजय विचार मंच और फिर हुई सास-बहू में वो ऐतिहासिक कहा-सुनी
संजय के विचारों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से संजय के वफादार रहे अकबर अहमद के साथ मिलकर संजय विचार मंच की शुरूआत करने का फैसला मेनका गांधी ने किया. उस वक्त इंदिरा गांधी लंदन में थीं.
जब मेनका से खफा थीं इंदिरा गांधी
इंदिरा गांधी 28 मार्च 1982 की सुबह लंदन से लौटीं. वे इस बार निशाने पर लेने का निर्णय करके आई थीं. जब मेनका उन्हें नमस्कार करने आईं, तो उन्होंने सख्ती से यह कहकर उन्हें दफा किया, ‘मैं तुमसे बाद में बात करूँगी.’
उससे कहलवा दिया गया कि वह परिवार के साथ दोपहर के खाने के लिए न आएं और उसका खाना कमरे में भेज दिया जाएगा. लगभग एक बजे उसे एक संदेश और भेजा गया कि प्रधानमंत्री उससे मिलना चाहती हैं. मेनका इस स्थिति के लिए तैयार थीं. वह बैठक में थीं जब श्रीमती गांधी नंगे पैर वहां आईं.
उन्होंने धवन और धीरेंद्र ब्रह्मचारी को वहां आने का आदेश पहले दे दिया था ताकि वे मेनका से जो कुछ कहें, वे लोग उसके साक्षी रहें. मेनका के अनुसार वे गुस्से से उबल रही थीं और उनकी बात मुश्किल से समझ में आ रही थी.
श्रीमती गांधी ने उस पर आरोप लगाया कि जब वे लन्दन में थीं तो वह उनकी अनुपस्थिति में उनके शत्रुओं को घर में लाती रहीं. उन्होंने आगे कहा, ‘तुमने हरेक शब्द में जहर उगला था. इसी वक्त निकल जाओ. निकलो.’ उन्होंने चीखकर कहा, ‘तुम्हें तुम्हारी मां के घर ले जाने के लिए गाड़ी खड़ी है.’
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