J&K Election: लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव भी उमर अब्दुल्ला के लिए बने चुनौती? दो सीट से हैं मैदान में

Jammu and Kashmir Election: जम्मू-कश्मीर में दूसरे चरण का मतदान 25 सितंबर को होगा. ये फेज काफी अहम है क्योंकि इसमें 26 सीटों पर वोटिंग होगी. दूसरे चरण में किस्मत दांव पर लगी है जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला चुनाव की जो दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 23, 2024, 08:59 PM IST
  • लोकसभा चुनाव में मिली थी हार
  • बडगाम में क्यों आसान नहीं है राह
J&K Election: लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव भी उमर अब्दुल्ला के लिए बने चुनौती? दो सीट से हैं मैदान में

नई दिल्लीः J&K Election: जम्मू-कश्मीर में पहले चरण का मतदान हो चुका है. अब दूसरे चरण की वोटिंग 25 सितंबर को होने जा रही है. इस फेज में 26 सीटों पर वोटिंग होगी. इनमें से गांदरबल और बडगाम सीट पर भी इसी फेज में वोटिंग होगी जहां से जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला चुनाव लड़ रहे हैं. वो दो सीटों से मैदान में हैं.

लोकसभा चुनाव में मिली थी हार

उमर अब्दुल्ला को लोकसभा चुनाव 2024 के समय बारामूला सीट पर इंजीनियर राशिद से हार का सामना करना पड़ा था. वहीं अब वह दो सीटों से विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं लेकिन रिपोर्ट्स की मानें तो दोनों ही सीटों पर उन्हें चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. 

बडगाम में क्यों आसान नहीं है राह

बडगाम सीट पर उमर अब्दुल्ला को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार सैयद मुंतजिर मेहंदी से चुनौती मिल सकती है. यह सीट शिया बहुल है और सैयद मुंतजिर भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता आगा सैयद हुसैन बड़े शिया नेता हैं. ऐसे में इस सीट पर टक्कर देखने को मिल सकती है. 

क्या अपना गढ़ भी सुरक्षित नहीं?

वहीं गांदरबल सीट पर उमर अब्दुल्ला को इंजीनियर राशिद की अवामी इत्तेहादी पार्टी के उम्मीदवार शेख से चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. यही नहीं पीडीपी से बशीर अहमद मीर भी मुश्किलें पैदा कर सकते हैं. वैसे ये सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस का गढ़ रही है. यहां 1977 से लेकर 2014 तक हुए सभी विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक बार नेशनल कॉन्फ्रेंस को हार मिली थी. यहां से शेख अब्दुल्ला, फारुक अब्दुल्ला भी चुनाव जीत चुके हैं.

गांदरबल सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे इश्फाक जब्बार नेशनल कॉन्फ्रेंस का हिस्सा थे. 2014 में उन्होंने इसी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन बाद में दोनों के रास्ते अलग हो गए. माना जा रहा है कि वह नेशनल कॉन्फ्रेंस के वोटों में सेंध लगा सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो उमर अब्दुल्ला को इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा.

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