नई दिल्लीः Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने चुनावी बॉन्ड से संबंधित सभी आंकड़े चुनाव आयोग को सौंप दिए हैं. इसके बाद चुनाव आयोग ने भी उन आंकड़ों को अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है. देश में किस पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कितने रुपये मिले, इस बात की जानकारी मिलते ही सभी पार्टियां एक-दूसरे पर हमलावर हो गई हैं.
10 करोड़ रुपये कहां से मिले पार्टी को भी नहीं पता
इसी बीच इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा JDU का दिलचस्प मामला सामने आया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, JDU को साल 2019 में इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कुल 13 करोड़ रुपये मिले. इनमें से पार्टी के पास 3 करोड़ रुपये का हिसाब है कि उन्हें वे कहां से मिले. लेकिन बाकी के 10 करोड़ रुपये की जानकारी खुद पार्टी को भी नहीं है.
JDU को मिले 13 करोड़ रुपये
इस मामले पर JDU की ओर से कोर्ट में बताया गया कि साल 2019 में उनकी पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कुल 13 करोड़ रुपये मिले. इनमें से दो करोड़ रुपये पार्टी को एक सीमेंट बनाने वाली कंपनी की ओर से दिए गए. वहीं, एक करोड़ रुपये एक मोबाइल कंपनी की ओर से दिए गए. हैरान करने वाली बात यह है कि खुद पार्टी को भी इस बात की जानकारी नहीं है कि उन्हें बाकी के 10 करोड़ रुपये किस कंपनी की ओर से दिए गए.
अनजान शख्स ने पार्टी दफ्तर में रखा इलेक्टोरल बॉन्ड
पार्टी का कहना है कि ये 10 करोड़ रुपये उन्हें किसी अनजान शख्स से मिले हैं. JDU के तत्कालीन प्रदेश महासचिव नवीन आर्य बताते हैं कि 3 अप्रैल 2019 को किसी अनजान शख्स ने पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आकर एक सीलबंद लिफाफा दे दिया था. बाद में जब इस लिफाफे को खोला गया, तो इसमें 1-1 करोड़ के 10 इलेक्टोरल बॉन्ड पाए गए, जिसे बाद में पार्टी ने पटना के SBI मेन ब्रांच में खाता खोलकर सभी बॉन्ड्स का कैश करा लिया था.
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