सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दुओं को अल्पसंख्यक दर्जा देने से किया इंकार

देश के आठ राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं. इस वास्तविकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका हुई खारिज..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 17, 2019, 03:22 PM IST
    • भारत के 8 राज्यों में हैं हिन्दू अल्पसंख्यक
    • इनमें शामिल हैं लक्षदीप, मेघालय, जम्मू-कश्मीर, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश
    • भारत के राज्यों में हिन्दुओं की संख्या कम हो रही है
    • इन राज्यों में अल्पसंख्यक स्टेटे हेतु दिशा-निर्देश मांगे गए थे याचिका में
सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दुओं को अल्पसंख्यक दर्जा देने से किया इंकार

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दुओं को अल्पसंख्यक दर्जा देने के लिए दाखिल अर्जी पर विचार करने से इंकार कर दिया है. भारत के आठ राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं, इस हेतु इस याचिका में कानूनी तौर पर इन राज्यों में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक वर्ग का दर्जा देने की मांग की गई थी, जिसे उच्चतम न्यायलय ने गैर-संवैधानिक माना.

क्या थी याचिका की विषय-वस्तु 

इस याचिका में हालिया तथ्यों को आधार बना कर भारत के आठ राज्यों का हवाला दिया गया जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हैं. यह याचिका चाहती थी कि जिस तरह देश के विभिन्न राज्यों में वहां के अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार प्राप्त हैं, इन राज्यों में हिन्दुओं को भी यही अधिकार दिए जाएँ.

कौन से हैं ये राज्य जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हैं  

याचिकाकर्ता के मुताबिक़ भारत में आज आठ राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गए है. लक्षदीप में 2.5 प्रतिशत, मेघालय में 11 प्रतिशत , जम्मू-कश्मीर में २८ प्रतिशत, मिजोरम में 2.75 प्रतिशत , नगालैंड में 8.७५ प्रतिशत, पंजाब में 38.40 प्रतिशत, मणिपुर में 31 प्रतिशत और अरुणाचल प्रदेश में 29 प्रतिशत हिन्दू हैं. 

भारत के राज्यों में हिन्दुओं की संख्या कम हो रही है 

यह याचिका भाजपा नेता एवं अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर की गई थी. इस याचिका का एक उद्देश्य एक वास्तविकता की तरफ देश का ध्यान खींचना भी था. भारत के राज्यों में हिन्दुओं की संख्या गिरते जाने की वर्तमान परिस्थिति पर ध्यानाकर्षण वाली इस याचिका ने खारिज हो जाने के बाद भी इस विषय पर देश के कान खड़े कर दिए.

सुप्रीम कोर्ट ने दिया कारण ख़ारिज करने का 

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए उसके पीछे संवैधानिक कारणों का हवाला दिया.जस्टिस बोबडे की अगुआई वाली उच्चतम न्यायालय की इस बेंच ने मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों, पारसियों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने वाली केंद्र की 26 साल पुरानी अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए कि समूहों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के लिए धर्म को भारतीय परिदृश्य में देखा जाना चाहिए. 

दिशा-निर्देश मांगे गए थे याचिका में 

 दायर की गई इस याचिका में किसी समुदाय की राज्यवार आबादी के आधार पर अल्पसंख्यक का दर्जा देने की दिशा में कोर्ट से दिशा-निर्देश देने का निवेदन किया गया था. इसके जवाब में सीजेआई ने कहा, धर्म राजनीतिक सीमाओं को नहीं मानता है. लक्षद्वीप जैसी जगहों पर भी मुस्लिम हिंदू कानून का पालन करते हैं. 

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