UCC पर आरिफ मोहम्मद खान की खरी-खरी, बोले- इससे किसी को खतरा नहीं

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शुक्रवार को कहा कि समान नागरिक संहिता (UCC) देश में किसी के लिए भी खतरा नहीं है. उन्होंने नागरिकों से इसके बारे में गलत धारणाएं दूर करने और इसके खिलाफ जारी 'झूठे प्रचार' से लड़ने का आग्रह किया. खान महाराष्ट्र के ठाणे में 'समान नागरिक संहिता : क्यों और कैसे?' विषय पर व्याख्यान दे रहे थे. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 12, 2023, 09:51 AM IST
  • गलत धारणाओं से लड़ने की अपील की
  • देश में लागू किया जाना चाहिए यूसीसी
UCC पर आरिफ मोहम्मद खान की खरी-खरी, बोले- इससे किसी को खतरा नहीं

नई दिल्लीः केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शुक्रवार को कहा कि समान नागरिक संहिता (UCC) देश में किसी के लिए भी खतरा नहीं है. उन्होंने नागरिकों से इसके बारे में गलत धारणाएं दूर करने और इसके खिलाफ जारी 'झूठे प्रचार' से लड़ने का आग्रह किया. खान महाराष्ट्र के ठाणे में 'समान नागरिक संहिता : क्यों और कैसे?' विषय पर व्याख्यान दे रहे थे. 

गलत धारणाओं से लड़ने की अपील की
यूसीसी का लक्ष्य विभिन्न धार्मिक समुदायों के धर्मग्रंथों व रीति-रिवाजों पर आधारित व्यक्तिगत कानूनों के बजाय देश के प्रत्येक नागरिक पर सामान्य कानून लागू करना है. केरल के राज्यपाल ने नागरिकों से यूसीसी के बारे में 'गलत धारणाओं' को दूर करने और इसके खिलाफ किए जा रहे 'झूठे प्रचार' से लड़ने का आह्वान किया. 

देश में लागू किया जाना चाहिए यूसीसी
उन्होंने कहा कि किसी भी कानून के सफल होने के लिए जनता का समर्थन जरूरी है और सरकार को इस दिशा में काम करना चाहिए और अब भी वही किया जा रहा है. खान ने कहा कि यूसीसी को देश में लागू किया जाना चाहिए, सिर्फ इसलिए नहीं कि 'यह निदेशक सिद्धांतों का हिस्सा है, बल्कि इसलिए कि मौजूदा कानूनी व्यवस्था कानून की नजरों में समानता और समान कानूनी सुरक्षा के मौलिक अधिकार दोनों का उल्लंघन करती है.'

पहले भी कर चुके हैं यूसीसी का समर्थन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरिफ मोहम्मद खान ने इससे पहले भी जुलाई में यूसीसी के समर्थन में बोला था. तब उन्होंने कहा था कि समान नागरिक संहिता आवश्यक है और इसका अनुच्छेद 44 में जिक्र है. कानून को इससे मतलब नहीं है कि आप कैसे शादी करते हैं, फेरे कराते हैं या निकाह पढ़ते हैं. कानून की समानता का अर्थ है कि एक जैसे हालात में दो लोगों के साथ अलग-अलग न्याय न हो.

उन्होंने कहा था कि यह जरूरी है कि कानून की एक ही परिभाषा हो. अनुच्छेद 44 में भी इसका जिक्र है कि कानून बनाते समय समानता का ध्यान रखा जाए. सरकार समान नागरिक संहिता लाने की कोशिश करे.

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