Shrikrishna Janmabhoomi: ट्रस्ट ने पूरे जन्म स्थान परिसर पर किया दावा, इलाहाबाद हाई कोर्ट में होगी सुनवाई

Shrikrishna Janmabhoomi: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने शुक्रवार को ईदगाह सहित संपूर्ण जन्म स्थान परिसर की भूमि पर अपना दावा करते हुए सिविल न्यायाधीश सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दायर किया है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से ट्रस्टी विनोद कुमार बिंदल और ओमप्रकाश सिंघल ने यह दावा पेश किया. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 12, 2023, 09:23 AM IST
  • हाई कोर्ट के पास भेजा जाएगा मामला
  • ट्रस्ट ने समझौते को अनधिकृत बताया
Shrikrishna Janmabhoomi: ट्रस्ट ने पूरे जन्म स्थान परिसर पर किया दावा, इलाहाबाद हाई कोर्ट में होगी सुनवाई

नई दिल्लीः Shrikrishna Janmabhoomi: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने शुक्रवार को ईदगाह सहित संपूर्ण जन्म स्थान परिसर की भूमि पर अपना दावा करते हुए सिविल न्यायाधीश सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दायर किया है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से ट्रस्टी विनोद कुमार बिंदल और ओमप्रकाश सिंघल ने यह दावा पेश किया. 

हाई कोर्ट के पास भेजा जाएगा मामला
जन्मभूमि की ओर से पेश हुए अधिवक्ता महेश चतुर्वेदी ने शुक्रवार को बताया कि अदालत ने वाद स्वीकार कर लिया है, लेकिन यह मामला भी जिला न्यायाधीश के माध्यम से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ही सुनवाई के लिए भेज दिया जाएगा, जिससे वहां पहले से भेजी गई श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद संबंधी अन्य याचिकाओं के साथ इस मामले की भी सुनवाई की जा सके. 

ट्रस्ट ने समझौते को अनधिकृत बताया
उन्होंने बताया कि ट्रस्ट का मानना है कि ईदगाह पक्ष जिस कथित समझौते का हवाला देते हुए अपने कब्जे की बात करता है, वह (श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ, जो अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से जाना जाता है) कभी भी इसके लिए ट्रस्ट द्वारा अधिकृत ही नहीं किया गया, उसे किसी तीसरे पक्ष से समझौता करने का अधिकार ही नहीं है. 

'ट्रस्ट ने सेवा संघ को देखरेख की दी थी जिम्मेदारी'
गौरतलब है कि जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से पहली बार यह स्पष्ट किया गया है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से मंदिर परिसर की देखरेख, साफ-सफाई, रखरखाव आदि व्यवस्थाओं के लिए जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन सेवा संघ की ओर से कथित तौर पर अनाधिकृत रूप से वर्ष 1968 में शाही ईदगाह इंतजामिया कमेटी से भूमि पर काबिज रहने को लेकर समझौता कर लिया गया.

रिपोर्ट्स के अनुसार, अब तक जन्मस्थान मामले में 17 वाद दायर किए जा चुके हैं. यह पहला मामला है जिसमें खुद जन्मभूमि ट्रस्ट खुद ही वादी है.

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