कोटाः राजस्थान के कोटा स्थित एक अस्पताल में 48 घंटों में 10 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है. कोटा के सबसे बड़े मातृ एवं शिशु जेके लोन अस्पताल में पिछले 2 दिन में 10 बच्चों की मौत हो गई. यह सभी बच्चे एनआईसीयू में भर्ती थे. मामला सामने आने पर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत जांच के लिए एक मौके पर रवाना किए हैं. वहीं कोटा के सांसद, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने मामले में चिंता व्यक्त करते हुए राज्य सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की.
इस मामले पर जेके लोन अस्पताल में के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉक्टर बेरवा ने बताया कि तीन-चार बच्चों की रोजाना डेथ एक एवरेज है. वहीं, पूरे साल में बच्चों की मृत्यु को देखा जाए तो यह और सालों की अपेक्षा इस महीने में कम मौतें हुई हैं. बैरवा ने बताया जिन 10 बच्चों की मौत हुई है, उसमें 5 न्यू बोर्न बेबी हैं, जिनको जन्म लेते ही दिक्कत हो गई थी.
Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot on death of newborns in Kota: We have sent senior officials and doctors. We are looking into the matter. https://t.co/lbCbGrglBT pic.twitter.com/QYVCPRf5zv
— ANI (@ANI) December 27, 2019
वहीं, 5 बड़े बच्चे हैं इनमें 3 बच्चे दूसरे निजी अस्पतालों से रेफर होकर आए थे. जेके लोन अस्पताल कोटा संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल होने की वजह से यहां पर आसपास के जिलों के एमपी तक के बच्चे आते हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार कोटा के सांसद लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि कोटा के एक मातृ एवं शिशु अस्पताल में 48 घंटे में 10 नवजात शिशुओं की असामयिक मौत चिंता का विषय है. राजस्थान सरकार को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए.
मुख्यमंत्री ने मांगी रिपोर्ट
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को कहा कि जेके लोन अस्पताल में 10 बच्चों की मौत की जांच के लिए एक टीम कोटा भेजी गई है. उन्होंने कहा कि दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. गहलोत ने चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया को कोटा का दौरा करने और तत्काल आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है. सीएमओ के आधिकारिक सूत्रों ने पुष्टि की कि गहलोत मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और खुद निगरानी कर रहे हैं.
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दिसंबर में 77 बच्चों की मौत
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार राजस्थान में दिसंबर में 77 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि सोमवार और मंगलवार को 10 बच्चों की मौत हुई. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि सभी बच्चों को अस्पताल में गंभीर हालत में लाया गया था. वहीं अस्पताल के अधीक्षक डॉ एचएल मीणा ने कहा कि हमारी जांच कहती है कि 10 मौतें सामान्य थीं और किसी भी लापरवाही के कारण बच्चों की मौत नहीं हुई.
विभाग के प्रमुख (बाल रोग विशेषज्ञ) अमृत लाल बैरवा ने कहा कि राष्ट्रीय एनआईसीयू रिकॉर्ड के अनुसार 20 फीसद शिशुओं की मौतें स्वीकार्य हैं जबकि कोटा में 10-15 फीसद मौतें हुई हैं, जो बिल्कुल भी खतरनाक नहीं है.
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