नई दिल्ली: सियाचीन पर साल 1984 में पाकिस्तान ने अवैध रुप से कब्जा कर लिया था. जिसे छुड़ाने के लिए सेना ने ‘ऑपरेशन मेघदूत’ चलाया था. इस अभियान की अगुवाई करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) प्रेम नाथ हून का मंगलवार को निधन हो गया.
पीएम ने जताया शोक
प्रधानमंत्री मोदी ने उनके देहांत पर गहरा शोक प्रकट करते हुए संदेश दिया कि ‘‘लेफ्टिनेंट जनरल पी एन हून (सेवानिवृत) के निधन से काफी दुखी हूं. उन्होंने पूरे समर्पण के साथ भारत की सेवा की और हमारे देश को मजबूत एवं अधिक सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार एवं मित्रों के साथ है.
Extremely saddened by the passing away of Lt Gen PN Hoon (retd). He served India with utmost dedication and contributed significantly towards making our nation stronger and more secure. My thoughts are with his family and friends in this sad hour. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 7, 2020
पंचकुला में ली अंतिम सांस
91 साल के लेफ्टिनेन्ट जनरल हून का देहांत पंचकूला के कमांड हॉस्पिटल में हुआ. यहां पिछले दो दिनों से उनका इलाज चल रहा था. डॉक्टरों ने 6 जनवरी शाम 5.30 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया था. ले.जन. हूण साल 1987 में पश्चिमी कमान के प्रमुख के पद से सेवा निवृत हुए थे. साल 2013 में भाजपा की सदस्यता ले ली थी.
ले. जन. हून प्रखर राष्ट्रवादी थे. वह देश विरोधी ताकतों के खिलाफ कड़ा रवैया अपनाने के हिमायती थे. उनका जन्म पाकिस्तान के ऐबटाबाद में हुआ था. लेकिन 1947 में बंटवारे के समय उनका परिवार भारत आ गया था.
राष्ट्र के लिए ले.जन. हून की ये है देन
ले. जनरल हून ने साल 1984 में सियाचीन पाकिस्तान के शिकंजे से बचाया था. दरअसल पहले सियाचीन में सेना की लगातार तैनाती नहीं रहती थी. सर्दियों के मौसम में भारतीय फौज वहां से उतर आती थी. इसी दौरान पाकिस्तान ने वहां कब्जा जमा लिया था. इसके पहले पाकिस्तान दो बार सीधी लड़ाई में हार चुका था.
1983 में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने रिपोर्ट दी कि पाकिस्तानी सियाचिन पर कब्जे की तैयारी कर रहा है. क्योंकि पाकिस्तानी सेना ने अपने सेना के लिए भीषण ठंड के कपड़ों का यूरोप में ऑर्डर दिया था. जिसकी भनक भारतीय खुफिया विभाग को लग गई थी.
लेकिन जब तक भारतीय सेना हरकत में आती तब तक पाकिस्तानी फौज सियाचीन पर काबिज हो चुकी थी.
उसे छुड़ाने के लिए भारतीय सेना ने ''ऑपरेशन मेघदूत' लांच किया. जिसकी अगुवाई ले. जनरल हून ने की. इसका पहला चरण मार्च 1984 में ग्लेशियर के पूर्वी बेस के लिए पैदल मार्च के साथ शुरू हुआ. 13 अप्रैल 1984 को भारतीय सेना ने सीधा हमला किया और पूरे सियाचिन पर कब्जा कर लिया.