नई दिल्लीः महाराष्ट्र सरकार में खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री छगन भुजबल ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है. उनका कहना है कि उन्होंने अपने पद से 16 नवंबर को ही इस्तीफा दे दिया था. इस दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उनसे इस मामले पर चुप रहने को कहा था. साथ ही एनसीपी नेता ने सरकार पर मराठों को ओबीसी कोटे से आरक्षण देने का भी आरोप लगाया है.
'16 नवंबर को दे दिया है इस्तीफा'
शनिवार 3 फरवरी को अहमदनगर में एक रैली को संबोधित करते हुए छगन भुजबल ने कहा, 'विपक्ष के कई नेता और मेरी सरकार के नेता भी कह रहे हैं कि मुझे इस्तीफा दे देना चाहिए, तो किसी ने कहा कि छगन भुजबल को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर देना चाहिए. मैं विपक्ष, सरकार और पार्टी के नेताओं को बता देना चाहता हूं कि मैंने 16 नवंबर को ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा के बाद ही मैं 17 नवंबर को अंबाद में आयोजित ओबीसी एल्गर रैली में गया था.'
'दो महीने से ज्यादा रहा चुप'
छगन भुजबल ने आगे कहा, 'मैं दो महीने से ज्यादा समय से चुप रहा, क्योंकि मुझे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने इस बारे में बोलने से मना किया था. मेरी बर्खास्तगी की जरूरत नहीं है. मैंने अपने पद से पहले ही इस्तीफा दे दिया है. मैं आखिर तक ओबीसी के लिए लड़ूंगा. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो महाराष्ट्र सरकार ओबीसी कोटे से मराठाओं को आरक्षण देना चाहती है और छगन भुजबल लगातार इस बात का विरोध करते रहे हैं. इसी वजह से पार्टी के नेताओं ने उनकी बर्खास्तगी की मांग की थी.'
'मराठा को अलग से आरक्षण मिलना चाहिए'
मराठा आरक्षण पर छगन भुजबल ने कहा, हम मराठा समुदाय के आरक्षण का विरोध नहीं कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि उन्हें अलग से आरक्षण मिलना चाहिए. उन्हें आरक्षण हमारे कोटे से ही न दिया जाए, लेकिन वे (मनोज जारांगे) कहते हैं कि इसे ओबीसी कोटे से ही दिया जाए.
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