नई दिल्ली: ऐसी वक्ता जो जब बोलती हैं. तो विपक्ष का मुंह पूरी तरह बंद हो जाता है, ऐसी वकील जिसकी याचिका पर राहुल गांधी माफी तक मांगने को मजबूर हो जाते हैं. तेज तर्रार छवि वाली सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट और लंबे समय तक बीजेपी प्रवक्ता रही मीनाक्षी लेखी अब मोदी कैबिनेट का हिस्सा बन चुकी हैं.
मीनाक्षी का भाषण बनता है चर्चा का विषय
संसद में मीनाक्षी जब भी बोलने लगती हैं. तो उनके भाषण चर्चा का विषय बन जाते हैं. तीन तलाक से लेकर आर्टिकल 370 तक.. संसद में हुई हर अहम डिबेट में मीनाक्षी लेखी ने जिस स्पष्ट तरीके से अपनी बात रखी. उसकी हमेशा तारीफ की जाती है.
मीनााक्षी लेखी बीजेपी के युवा नेताओं में से एक चेहरा हैं. कैबिनेट विस्तार के बाद उन्हें विदेश और संस्कृति राज्यमंत्री बनाया गया है.
लगातार दो बार सांसद रह चुकीं मीनाक्षी लेखी ने साल 2014 के लोकसभा चुनावों में नई दिल्ली सीट से जीत हासिल की थी. इसके बाद 2019 में वे जीत कर दूसरी बार सांसद बनी थीं. सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट मीनाक्षी लेखी पहले बीजेपी महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं.
वकील से मंत्री तक के सफर को जानिए
केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में इस बार काफी नए चेहरों को जगह दी गई. है जो मोदी सरकार के भविष्य की राजनीति की दिशा एवं दशा को तय करने में कारगर साबित होगा. अब आपको बताते हैं कि कैसा रहा मीनाक्षी लेखी का वकील से मंत्री तक का सफर?
मीनाक्षी ने 1990 में दिल्ली बार काउंसिल में नामांकन नांमाकित भारत के सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट, अन्य न्यायालयों और दिल्ली तथा देश के अन्य भागों में विभिन्न मंचों से वकालत शुरू की और व्यापक रूप से भिन्न-भिन्न मामलों जैसे कि जमानत, पुनरीक्षण, विचारण, अपील, आपराधिक रिट, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम/सीमा शुल्क अधिनियम/फेरा अभियोजन घरेलू हिंसा और परिवार कानून विवाद पर दलीलें पेश की.
महिला आरक्षण विधेयक और कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की समस्या जैसे विभिन्न विधेयकों के लिए ड्रफ्टिंग समितियों का हिस्सा रही है और उन्होंने दंड विधि (संशोधन) विधेयक, 2013 का मसौदा तैयार करने में भी एक सक्रिय भूमिका निभाई जिसके अंतर्गत यौन हिंसा से जुड़े मौजूदा कानूनों में संशोधन का प्रावधान हो सका.
वे शांति मुंकुद अस्पताल बलात्कार मामले में पीड़ित की वकील थी और उन्होंने निर्भया बलात्कार मामले में न्यायालय की कार्यवाही की मीडिया कवरेज पर प्रतिपबंध हटाने के लिए न्यायालय में मीडिया का प्रतिनिधित्व किया और अपने प्रयास में सफल रहीं. उन्होंने भारतीय सशस्त्र सेना में महिला अफसरों को स्थायी कमिशन दिलाने संबंधी मामला भी उठाया.
गडकरी के राजनीति में लाया
मीनाक्षी लेखी आरएसएस से जुड़े संगठन, स्वदेशी जागरण मंच के साथ काम कर रही थीं. उस दौरान पूर्व भाजपा अध्यक्ष एवम वर्तमान केंद्र के कद्दावर नेता नितिन गडकरी ने उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था. मीनाक्षी ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और भाजपा की महिला मोर्चा (महिला विंग) में शामिल हो गई. जल्द ही वे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, बीजेपी महिला मोर्चा बन गईं.
विवादों से भी मीनाक्षी का नाता रहा
मीनाक्षी लेखी खूब विवादों में रही जब कथित तरुण तेजपाल मामले में पीड़ित लड़की का नाम उजागर करने पर विवादों में आ गई. हालांकि, उन्होंने इस बात का हवाला दिया कि उनके ट्विटर से छेड़खानी हुई है और उनके फोन का दुरुपयोग हुआ है. दूसरा विवाद उनके द्वारा बिना सीट बेल्ट बांधे खुद गाड़ी चलाकर नामांकन भरने जाने का मामला तूल पकड़ा और उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा.
मीनाक्षी लेखी देश की सक्रिय राजनेता हैं और वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी हुई हैं. उनका जन्म 30 अप्रैल 1967 को नई दिल्ली में हुआ था. वह एक मध्यम वर्ग के परिवार से एक शानदार लड़की थी. उन्होंने प्रतिष्ठित हिंदू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से वनस्पति विज्ञान में बीएससी किया है. बाद में उन्होंने एलएलबी किया.
डीयू से उन्होंने 1990 में दिल्ली बार काउंसिल में पंजीकरण करवाया. उनके ससुर स्वर्गीय प्राण नाथ लेखीए सुप्रीम कोर्ट के वकील में थे. वे अमान लेखी नामक सुप्रीम कोर्ट के वकील के साथ विवाह के बंधन में बंध गई. बार काउंसिल चुनाव में उम्मीदवार के लिए प्रचार करते हुए मीनाक्षी की अमन से मुलाकात हुई. इनका विवाह 11 अप्रैलए 1992 को हुआ.
मीनाक्षी लेखी का मोदी कैबिनेट में आना दिल्ली की राजनीति पर भी असर डाल सकता है. मोदी कैबिनेट में शामिल होने से उनका सियासी कद भी बढ़ा है और उनकी अहमियत भी बढ़ेगी. साथ ही इनके मंत्री बनने से दिल्ली में पार्टी को एक मजबूत महिला नेता मिलेगी. मंत्री बनने के बाद संसद से लेकर राजनीतिक गलियारे में पार्टी और केंद्र सरकार का पक्ष और बेहतर तरीके से रख पाएंगी. और आने वाले समय में दिल्ली में बीजेपी का एक बड़ा चेहरा बनने में सफल हो पाएंगी.
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