नई दिल्ली: नया हिन्दुस्तान अपनी ताकत का सबसे बड़ा पावर ट्रेलर दिखाने वाला है. बंगाल की खाड़ी में भारत दोस्ती का वो दम दिखानेवाला है, जिससे दुश्मन दहल उठेंगे. अगले साल यानी 2020 में विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा साझा युद्धाभ्यास होनेवाला है. इसका नाम है 'मिलन 2020'
हिन्दुस्तान का 'समुद्र मंथन'
मार्च 2020 में होने वाले इस सबसे बड़ी एक्सरसाइज में हिन्दुस्तान के 41 मित्र देशों की नौसेना अपनी ताकत दिखाएगी. दक्षिण एशिया से लेकर दक्षिण पूर्व एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कई देशों की नेवी के युद्धपोत बंगाल की खाड़ी में अपनी ताकत दिखाएंगे.
हिन्दुस्तान ने इस महा एक्सरसाइज में चीन, पाकिस्तान और टर्की को न्योता नहीं भेजा है. ये इन तमाम देशों को ये साफ संदेश है कि आनेवाले दिनों में चीन ने अगर हिन्द महासागर में दादागीरी की, तो उसे चौतरफा जवाब मिलेगा. ये पाकिस्तान को साफ संदेश है कि अगर उसने समंदर में भारत का रास्ता रोकने की कोशिश की, तो उसे मुंहतोड़ जवाब मिलेगा.
1995 से हुई थी शुरुआत
मिलन 2020 की शुरूआत 1995 में हुई थी. हर दो साल के बाद होनेवाली इस एक्सरसाइज का मकसद किसी भी आपात स्थिति में दुनिया भर की नौसेनाओं के बीच पुल का काम करना है. एक जगह 41 देशों के 70 युद्धपोतों की मौजूदगी एक नया रिकॉर्ड बना सकती है. पिछली बार 2018 में नेवी का ये महामिलन अंडमान निकोबार में हुआ था. जहां 22 से अधिक देशों की नेवी के युद्धपोत साझा अभ्यास में शामिल हुए थे. इस बार इसके लिए विशाखापत्तनम के तट को चुना गया है.
'मिलन 2020' के लिए जिन देशों की नौसेना यहां पहुंचने वाली है. अब उन देशों के बारे में जान लीजिए.
- अमेरिका
- रूस
- ऑस्ट्रेलिया
- ब्रिटेन
- जापान
- फ्रांस
- इजरायल
- बांग्लादेश
- श्रीलंका
- इंडोनेशिया
- मोजाम्बिक
- सूडान
- कतर
- थाइलैंड
- मलेशिया
- सोमालिया
- केन्या
- इजिप्ट
- वियतनाम
- म्यांमार
- न्यू ज़ीलैंड
- तंजानिया
- कोमोरोस
- ब्रुनेई
- फिलीपींस
- सऊदी अरब
- ओमान
- मॉरीशस
- कम्बोडिया
- सिंगापुर
- दक्षिण कोरिया
- दक्षिण अफ्रीका
- कुवैत
- ईरान
- मेडागास्कर
- जिबूती
- इरीट्रिया
- बहरीन
- यूएई और
- सेशेल्स
यानी दुनिया का कोई ऐसा कोना नहीं, जहां की सबसे ताकतवर नौसेना हिंन्दुस्तान के समुद्र मंथन में शामिल नहीं होगी. यही वजह है कि महा'मिलन 2020' के नाम से ही चीन और पाकिस्तान में खलबली है. समंदर का बाहुबली बनने की कोशिश में हर लक्ष्मण रेखा को लांघनेवाले चीन में बेचैनी है. उसे डर है कि आनेवाले दिनों में हिन्द महासागर में उसकी मनमानी पर पूरी तरह रोक लग जाएगी.
वक्त के साथ बढ़ रही है हिन्दुस्तान की ताकत
जब मिलन एक्सरसाइज की शुरूआत हुई थी तो इसमें सिर्फ 4 देश शामिल हुए थे लेकिन 2020 में पहली बार हिन्दुस्तान के 41 दोस्त एक साथ जमा होंगे. 5 दिनों तक होनेवाला भारत के इस समुद्र मंथन का मकसद दुनिया भर की नौसेनाओं के साथ आपसी तालमेल को बढ़ाने की है. जिससे युद्ध या फिर किसी प्राकृतिक आपदा के समय मिलकर काम किया जा सके.
हिन्दुस्तान की तटीय रेखा यानी कोस्टलाइन 7,516 किलोमीटर लंबी है. जो बंगाल की खाड़ी से लेकर हिन्द महासागर और अरब सागर से लगती है. मिलन 2020 के जरिए हिन्दुस्तान अपने दुश्मनों को ये सीधा संदेश देगा कि देश की हज़ारों मील लंबी समुद्री सीमा की तरफ कोई आंख उठाकर भी नहीं देख सकता क्योंकि अब हमने समंदर का सिकंदर बनने की तैयारी कर ली है.
दुनिया में 7वें स्थान पर है भारतीय नौसेना
देश की सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना का ये समुद्र मंथन मील का पत्थर साबित होगा. भारतीय नौसेना के पास कुल 137 युद्धपोत हैं. इनमें आईएनएस विक्रमादित्य जैसा एअरक्राफ्ट करियर भी है. इंडियन नेवी के पास 246 एअरक्राफ्ट हैं. 67 हजार से ज्यादा नौसैनिक हैं, इस ताकत के साथ भारतीय नौसेना दुनिया में 7वें नंबर की नौसेना है.
भारतीय नौसेना की दुनिया भर में एक अलग छवि है. इंडियन नेवी आपदा के समय दुनिया भर में राहत अभियानों में सबसे आगे होती है. चाहें अदन की खाड़ी हो या फिर समुद्री डाकुओं के आतंक से निबटने की चुनौती हो. भारतीय नौसेना का युद्धपोत जहां भी लंगर डालता है. उस रास्ते से होकर गुजरनेवाले दुनिया भर के समुद्री जहाजों के लिए उसे सुरक्षा की गारंटी माना जाता है. इसलिए भारतीय नौसेना के दोस्तों की लिस्ट में दुनिया भर की नौसेना है.
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भारत के ठीक उलट चीन और पाकिस्तान की नौसेना की छवि बेहद खराब है. चीन दक्षिण चीन सागर से लेकर हिन्द महासागर तक अपनी विस्तारवादी नीति की वजह से तमाम देशों को उकसाता रहता है. समंदर पर अवैध कब्जे की उसकी नीति के खिलाफ भारत की अगुवाई में एक बड़ा मोर्चा तैयार हो चुका है. इसमें अमेरिका और जापान से लेकर फिलीपींस और वियतनाम तक शामिल है. जो अब चीन के आगे झुकने को तैयार नहीं हैं. जैसे को तैसा जवाब देने के मूड में हैं.
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सोचिए 2020 में क्या होगा. जब 41 दोस्त देशों के युद्धपोतों के साथ हिन्दुस्तान की नौसेना विशाखापत्तनम में गरजेगी. दुश्मनों से दुश्मनी और दोस्तों से दोस्ती निभाने की सीधी राह पर हिन्दुस्तान आगे बढ़ चला है. भारत के दोस्तों की लिस्ट इतनी लंबी है कि दुश्मनों का दिल अभी से बैठा जा रहा है.
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