नई दिल्लीः नरेंद्र मोदी समेत 72 मंत्रियों ने रविवार को शपथ ली. नई मंत्रिपरिषद में पीएम मोदी समेत 61 मंत्री बीजेपी के हैं जबकि 11 सहयोगी दलों के हैं. एनडीए सरकार में सहयोगी एनसीपी शामिल नहीं हुई. वह कैबिनेट मंत्री की मांग पर अड़ी है. हालांकि वह सरकार को समर्थन कर रही है.
नई सरकार की कैबिनेट पर नजर डालें तो नए राज्य मंत्रियों से रवनीत सिंह बिट्टू और जॉर्ज कुरियन न तो लोकसभा के सदस्य हैं और न ही राज्यसभा के मेंबर हैं. उन्हें शपथ लेने के छह महीने के भीतर संसद का सदस्य बनना होगा.
कौन हैं रवनीत सिंह बिट्टू
रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं. बेअंत सिंह की साल 1995 में खालिस्तानी आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी. रवनीत सिंह बिट्टू को बीजेपी ने लुधियाना से टिकट दिया था. उनके चुनाव प्रचार में अमित शाह ने कहा था कि वे बिट्टू को संसद भेजें, वह उन्हें 'बड़ा आदमी' बनाएंगे. हालांकि वह लुधियाना संसदीय सीट से हार गए, लेकिन नई सरकार में बिट्टू राज्य मंत्री बन गए हैं. बिट्टू (48) लुधियाना लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार और प्रदेश इकाई के प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग से 20,942 वोटों से हार गए थे.
मार्च में बीजेपी में हुए थे शामिल
इस साल मार्च में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था, जिससे कांग्रेस के कई नेता हैरान रह गए थे. पार्टी में शामिल होने के समय बिट्टू ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह की तारीफ करते हुए कहा था कि उन्हें पंजाब से बहुत लगाव है और वे राज्य के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं. बिट्टू दिवंगत स्वर्णजीत सिंह के बेटे हैं, जो पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के पांच बच्चों में से एक थे. बिट्टू के चचेरे भाई गुरकीरत सिंह कोटली अब भी कांग्रेस में हैं. खालिस्तान समर्थक नेताओं के खिलाफ अपने कड़े विचारों के लिए जाने जाने वाले बिट्टू ने अपने दादा की हत्या के मामले में दोषी बलवंत सिंह राजोआना की रिहाई की मांग का भी विरोध किया था.
भाजपा के प्रति वफादार रहे जॉर्ज कुरियन
नई सरकार में बीजेपी की केरल इकाई के महासचिव जॉर्ज कुरियन को मंत्री पद मिलना वास्तव में एक वफादार पार्टी कार्यकर्ता के लिए पुरस्कार की तरह है. वह 1970 के दशक के अंत में आपातकाल के बाद से पार्टी की गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं. वह 1980 में भाजपा की स्थापना के बाद से ही इसके साथ रहे हैं. केरल के कोट्टायम जिले के रहने वाले कुरियन एक प्रतिबद्ध भाजपा कार्यकर्ता रहे हैं.
कई पदों पर काम कर चुके हैं कुरियन
वह राज्य में कभी भी पार्टी में खेमेबाजी में शामिल नहीं हुए. कुरियन ने कई वर्षों तक राज्य में पार्टी के उपाध्यक्ष और महासचिव जैसे लगभग सभी प्रमुख पदों पर काम किया. पेशे से वकील कुरियन बीजेपी के युवा मोर्चा, अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्य सहित विभिन्न पदों पर रहे. मोदी के नेतृत्व वाली पहली सरकार के कार्यकाल में कुरियन को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया था. बाद में उन्हें उपाध्यक्ष बना दिया गया.
ईसाई समुदाय को संदेश देने की कोशिश
वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रेल मंत्री ओ राजगोपाल के विशेष कर्तव्य अधिकारी थे. कुरियन को मंत्री पद दिए जाने को बीजेपी की ओर से ईसाई समुदाय के लिए इस संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है कि वह केरल में उनके साथ अपने जुड़ाव को और मजबूत करना चाहती है. बीजेपी पिछले कुछ वर्षों से अपना आधार बढ़ाने के लिए ईसाइयों तक पहुंच बनाने का प्रयास कर रही है. केरल में ईसाई आबादी करीब 20 प्रतिशत है.
हिंदी और अंग्रेजी पर कुरियन की पकड़ ने कई बार राज्य में पीएम मोदी और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों की उपस्थिति वाले महत्वपूर्ण पार्टी कार्यक्रमों के दौरान अनुवादक के रूप में उनकी मौजूदगी सुनिश्चित की है.
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