दिल्ली: भारत के पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कहा कि बालाकोट एयरस्ट्राइक देश के पिछले 47 सालों के युद्ध इतिहास में अपनी तरह की पहली गैर-सेना बचाव कार्रवाई थी. इसके माध्यम से हम पाकिस्तान को खुला संदेश देना चाहते थे कि अगर भविष्य में भारत पर कोई आतंकी हमला करने की साजिश की गयी तो इससे भी कड़ा जवाब पाकिस्तान को दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि ये मोदी सरकार और सेना पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाना जानती है.
सरकार ने दिखाया बड़ा साहस: धनोआ
पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि 1993 के मुंबई बम धमाकों और 2008 के आतंकी हमले के बाद हमारी तरफ से कोई सैन्य प्रतिक्रिया नहीं हुई. इससे आतंकियों का दुस्साहस बढ़ा था. लेकिन उरी हमले के बाद सरकार द्वारा जो कठोर निर्णय लिये गये वो सराहनीय थे. सरकार की दृढ़ इच्छा के चलते ही पाकिस्तान को सबक सिखाया जा सका.
सरकार बड़े हमले का जवाब देना जानती है
बीएस धनोआ ने कहा कि जब 2016 में उरी हमले के बाद सेना ने पीओके में घुसकर आतंकियों के लॉन्च पैड तबाह किए तो पाकिस्तान को साफ संदेश मिल गया कि नई सरकार किसी बड़े हमले का जवाब सैन्य तरीके से देना जानती है. इसके बाद बालाकोट के माध्यम से उन्हें ऐसा सबक मिला जिसे नापाक मुल्क कभी नहीं भूलेगा. 14 फरवरी को पुलवामा हमले के बाद सरकार और राजनीतिक इच्छाशक्ति भी साफ थी कि पाकिस्तान और जैश को यह संदेश पहुंचे कि भारत पर हमले की कीमत चुकानी पड़ेगी.
'तुम कहीं भी छिपो, हम तुम तक जरूर पहुंचेंगे'
पूर्व एयर चीफ मार्शल ने कहा कि 14 फरवरी को पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान को यह डर सताने लगा था कि भारत की तरफ से इसका जवाब दिया जाएगा, लेकिन सवाल सिर्फ दो ही थे कि कहां और कब. हमने फैसला किया कि पाकिस्तान में बालाकोट में आतंकी संगठन जैश के ट्रेनिंग कैंप को तबाह करेंगे. सरकार और राजनीतिक इच्छाशक्ति इस पर बिल्कुल साफ थी कि पाकिस्तान और जैश को यह संदेश पहुंचे कि भारत पर हमले की कीमत चुकानी पड़ेगी फिर आतंकी चाहे जहां भी हों.
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'मिग-21 की जगह राफेल होता तो स्थिति कुछ और होती'
राफेल की जरूरत पर बल देते हुए बीएस धनोआ ने बालाकोट हमले के बाद अगले दिन जब पाकिस्तानी एयरक्राफ्ट हमारे सामने आए, तो हम हम उन्हें ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाए. अगर उस समय राफेल होता तो स्थिति कुछ और होती. पिछली सरकारों पर सवाल उठाते हुए धनोआ ने कहा कि उन लोगों की जिम्मेदारी का क्या, जिन्हें यह तकनीक हमारे लिए लानी थी और वे 10 साल तक एयरक्राफ्ट के लिए बातचीत ही करते रह गए? अगर पाकिस्तान के साथ आमने-सामने आने के दौरान कमांडर अभिनंदन वर्धमान के पास राफेल फाइटर जेट होता तो उसे पाकिस्तान कभी नहां पकड़ पाता.
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