अहमदाबादः कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी. भारतीय संस्कृति के लिए कहा जाने वाला यह सूत्र वाक्य समय-समय पर अपनी सार्थकता सिद्ध करता रहा है. अमेरिकी प्रथम नागरिक परिवार भारत के दौरे पर आ चुका है. इस दौरे को भले ही राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जा रहा है, लेकिन इसके मायने सिर्फ समझौतों और सुधारों तक ही सीमित नहीं है.
सभ्यताओं के आलिंगन का मौका
दरअसल यह वह मौका है, जब दो अलग-अलग गोलार्ध में रची-बसी संस्कृतियां एक-दूसरे से रूबरू होती हैं. उनका हाल पूछती हैं और अपनी-अपनी समृद्धि की दास्तान रखती हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति का यह दौरा सभ्यताओं के आलिंगन का दौरा है. जो अतिथि देवो भवः से शुरू होता है, स्वागत स्त्रोत से परवान चढ़ता है और हाथ में हाथ थाम कर कहता है, सभ्यताएं एक हैं. कार्यक्रम के उन पहलुओं पर डालते हैं नजर, जिनमें भारतीय संस्कृति और रीति नीति प्रत्यक्ष तौर पर सामने आई.
पीएम मोदी ने ट्वीट किया, अतिथि देवो भवः
भारत पहुंचने से चंद घंटे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया और कहा, 'हम भारत आने के लिए तत्पर हैं. हम रास्ते में हैं, कुछ ही घंटों में हम सबसे मिलेंगे.' इस पर पीएम मोदी ने ट्वीट करके लिखा- अतिथि देवो भव: इससे पहले PM नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में कहा, 'इंडिया आपके आने का इंतजार करता है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आपकी यात्रा निश्चित रूप से हमारे राष्ट्रों के बीच मित्रता को और मजबूत करने वाली है. अहमदाबाद में बहुत जल्द मिलते हैं.
बजे पारंपरिक वाद्य यंत्र, देवी स्तुति से हुआ स्वागत
ट्रंप परिवार एयरफोर्स वन से जैसे ही उतरा, शंख ध्वनि से उनका स्वागत किया गया. भारतीय वाद्ययंत्रों में शंख को सबसे पवित्र दर्जा प्राप्त है और इसके जरिये देव वंदना की जाती है. अतिथि को देवता का स्थान प्राप्त होने के नाते शंख ध्वनि से उनका स्वागत संबंधों को और मजबूती देता है.
इसके अलावा तुरही-ढोल और नगाड़े भी बजते रहे. इसके अलावा रास्ते भर पवित्र मंत्र और श्लोक गूंजते रहे. इनकी शुरुआत देवी स्तुति से हुई, जिनमें मां दुर्गा के नवरूप का वर्णन है.
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— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 24, 2020
गुजराती लोक शैली के नृत्यों ने बांधा समां
स्वागत के दौरान महिला कलाकारों ने पणिहारिन नृत्य की प्रस्तुति दी. उनके सिर पर रंग-बिरंगे घड़े सजे हुए थे. इसके अलावा उन्होंने पारंपरिक गरबा भी किया. ट्रंप के स्वागत में 22 किलोमीटर तक पारंपरिक वेश-भूषा पहने लोग मौजूद रहे. जो न सिर्फ गुजरात बल्कि सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत की तस्वीर खींच रहे थे.
इस दौरान पुरुष कलाकारों ने झूमर व छत्र लेकर वीर नृत्य किया, जो कि एक युद्धक और शक्ति प्रदर्शन के हाव-भाव को सामने रखता है.
इंतजार खत्म, भारतीय सरजमीं पर पहुंचा ट्रंप परिवार
साबरमती आश्रम में चलाया चरखा काता सूत
सादा जीवन उच्च विचार, भारत और भारतीयता की पहचान रही है. इस पहचान को चरखा और सूत सदियों से मजबूती देते आ रहे हैं. भारत के एक नागरिक का काता गया सूत आत्म निर्भरता, आत्मसम्मान और क्रांतिकारी बदलाव का प्रतीक है. अमेरिकी प्रथम नागरिक परिवार जब साबरमती आश्रम पहुंचा तो इस सुंदर सूत्रवाक्य से रूबरू हुए बिना नहीं रह पाया.
स्वामी विवेकानंद के सादगी भरे विचार जो शिकागो में रखे गए, अमेरिका ने उन्हें भारत की धरती पर दोबारा महसूस किया. इस दौरान गांधी जी के तीन बंदरों ने एक बार फिर बुरा न कहो, बुरा न देखो, बुरा न सुनो का संदेश दिया. संस्कृतियों का यह मिलन अद्भुत रहा. ट्रंप ने इसके लिए पीएम मोदी को धन्यवाद कहा.
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