नई दिल्लीः मंगल ग्रह पर पानी होने का सबूत मिला है. यह सबूत अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के यान ने भेजा है. कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के वैज्ञानिकों ने इसका विश्लेषण किया और बताया कि मंगल की सतह पर लगभग 200 करोड़ साल पहले पानी बहता था. इस पानी के साथ बहकर आए साल्ट मिनरल्स आज भी अपने बहाव के रास्ते में मौजूद हैं. मंगल की सतह पर इनके निशानों को सफेद रंग की लकीरों के रूप में देखा जा सकता है.
करोड़ों वर्ष पहले था नदियों-तालाबों का भंडार
नासा के स्पेसक्राफ्ट मार्स रिकॉन्सेंस ऑर्बिटर (MRO) ने डेटा और तस्वीरें भेजी थीं, जिनके आधार पर वैज्ञानिकों ने वहां एक दौर में पानी होने का अनुमान लगाया है. वैज्ञानिकों का मानना है कि करोड़ों वर्षों पहले मंगल पर नदियों और तालाबों का भंडार होता था.
इसलिए खत्म हो गया मंगल का पानी
उनका कहना है कि मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी से यहां सूक्ष्मजीवों का जीवन रहा होगा. मंगल के पानी के खत्म होने की वजह पर उनका मानना है कि जैसे-जैसे ग्रह का वायुमंडल पतला होता गया वैसे-वैसे यहां का पानी भाप के जरिए उड़ता रहा. बाद में केवल रेगिस्तान का जमा हुआ क्षेत्र बचा.
200 करोड़ साल पहले खत्म हुआ पानी
मंगल का पानी खत्म होने को लेकर भी इस विश्लेषण से नई जानकारी मिली है. माना जाता था कि करीब 300 करोड़ साल पहले मंगल से पानी खत्म हो गया होगा, लेकिन ताजा मिले सबूतों के अध्ययन के बाद पता चला है कि मंगल की सतह से पानी 200 करोड़ साल पहले खत्म हुआ होगा. यहां पानी करीब 200 करोड़ साल पहले तक था.
मंगल पर खनिज होने का अनुमान
मंगल ग्रह की सतह पर जो नमक की लकीरें दिखी हैं, वे बर्फीले पानी के पिघलकर भाप बनने के बाद की हैं. यह बिल्कुल उसी तरह है जैसे गर्मी के मौसम में हमारे कपड़ों में पसीने की वजह से सफेद लाइनें बन जाती हैं. मंगल पर बनी सफेद लकीरों से यह भी पता लगता है कि यहां पर खनिज भी है. अब नई खोज ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि यहां सूक्ष्म जीव कब तक रहे होंगे.
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