कोलकाता. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार कोलकाता में प्रति लाख आबादी पर सबसे कम संज्ञेय अपराध दर्ज होने के साथ यह 2021 में देश का सबसे सुरक्षित शहर बन गया है. आंकड़ों के अनुसार कोलकाता में संज्ञेय अपराधों की संख्या के मामले में स्कोर 103.4 प्रति एक लाख आबादी है और यह शहर पुणे से काफी आगे है जहां यह आंकड़ा 256.8 है.
तीसरे स्थान पर हैदराबाद में यह आंकड़ा 259.9 है. सूची में शामिल अन्य शहरों में कानपुर (336.5), बेंगलुरु (427.2) और मुंबई (428.4) हैं. एनसीआरबी की 2020 की रिपोर्ट में कोलकाता का स्कोर 129.5 था. रिपोर्ट के अनुसार इस शहर में भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज मामलों की दर 2021 में 92.6 थी जो पिछले साल 109.9 हो गयी.
विशेषज्ञों ने जाहिर की आशंका
विशेषज्ञों ने रिपोर्ट में कोलकाता में अपराध के मामले कम होने की बात पर आशंका प्रकट की है. जादवपुर विश्वविद्यालय में धर्म और समाज अध्ययन केंद्र की समन्वयक तथा समाजशास्त्र विभाग की पूर्व प्रमुख रूबी साईं ने कहा, ‘यह आंकड़ा थोड़ा अजीब लगता है. राज्य सरकार की ओर से तथ्यों को छिपाये जाने की बात स्पष्ट है.’ उन्होंने कहा, ‘कोलकाता में अधिकतर आपराधिक गतिविधियां दर्ज ही नहीं हो रहीं और मुझे विश्वास है कि अधिकारियों ने जो आंकड़े दिये, वे वास्तविक नहीं हैं.’ प्रेसीडेंसी कॉलेज में समाजशास्त्र के एमेरिटस प्रोफेसर प्रशांत रे ने भी साईं की तरह मत रखा.
बता दें कि NCRB ने विभिन्न सालाना रिपोर्ट्स जारी की हैं जिनमें से एक यह भी है. एक अन्य डेटा के मुताबिक देश के भीतर विदेशी नागरिकों के साथ घटित हुई अपराध की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन अपराध करने में संलिप्त विदेशियों की संख्या काफी बढ़ी है. आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में देश के अलग-अलग राज्यों में विदेशी नागरिकों के विरुद्ध अपराध में शामिल होने के 2585 मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं 150 मामलों में विदेशी नागरिक खुद किसी ना किसी अपराध से पीड़ित रहे हैं.
विदेशी नागरिकों के अपराध के मामले में अव्वल बंगाल
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने जो ताजा आंकड़े जारी किए हैं, उसके मुताबिक अलग अलग संगीन अपराधों को अंजाम देने में विदेशी नागरिकों की संलिप्तता बढ़ी है. साल 2021 के आंकड़ों के मुताबिक देश के अलग अलग राज्यों में 2585 मामले ऐसे दर्ज किए गए हैं, जिनमे विदेशी नागरिक कोई ना कोई अपराधों में शामिल रहे हैं. इनमें से 1287 मामले अकेले पश्चिम बंगाल में दर्ज हुए हैं. वहीं साल 2020 में 1937 विदेशी नागरिक अपराधों में लिप्त पाए गए थे.
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