नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुरुवार को कहा कि संसदीय कार्यवाही के दौरान किसी शब्द के प्रयोग को प्रतिबंधित नहीं किया गया है तथा सदस्य सदन की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए अपने विचार व्यक्त करने के लिये स्वतंत्र हैं.
शब्दों और वाक्यों का नया संकलन तैयार
लोकसभा सचिवालय ने 'असंसदीय शब्द 2021' शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों और वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है. जिसमें जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप, चाण्डाल चौकड़ी, गुल खिलाए, तानाशाह, भ्रष्ट, ड्रामा, अक्षम, पिठ्ठू जैसे शब्द शामिल हैं.
विपक्षी दलों द्वारा इस संबंध में विरोध जताए जाने के बाद बिरला ने संवाददाताओं से कहा, 'किसी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. सदस्य अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं, कोई भी उस अधिकार को नहीं छीन सकता है, लेकिन यह संसद की मर्यादा के अनुसार होना चाहिए.'
लोकसभा अध्यक्ष ने साझा की ये जानकारी
लोकसभा अध्यक्ष ने यह बात ‘असंसदीय’ के रूप में वर्गीकृत नए शब्दों को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं की आलोचना पर कही. कार्यवाही से हटाए जाने वाले चयनित शब्दों की एक पुस्तिका जारी किए जाने को लेकर उत्पन्न विवाद पर बिरला ने कहा, 'यह 1959 से जारी एक नियमित प्रथा है: किसी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.'
विपक्षी दलों के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि संसदीय परिपाटियों से अनजान लोग कई तरह की टिप्पणियां करते हैं, विधायिकाएं सरकार से स्वतंत्र होती हैं तथा सदस्य अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं.
कार्यवाही से शब्दों को हटाने का निर्णय
उन्होंने कहा कि संदर्भ और अन्य सदस्यों द्वारा उठाई गई आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही से शब्दों को हटाने का निर्णय लिया गया था.
उल्लेखनीय है कि विपक्षी दलों ने 'जुमलाजीवी' और कई अन्य शब्दों को ‘असंसदीय अभिव्यक्ति’ की श्रेणी में रखे जाने को लेकर बृहस्पतिवार को सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वे पुस्तिका में असंसदीय शब्दों के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने वाले आदेश को नहीं मानेंगे.
विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू से आग्रह भी किया कि वे इस फैसले पर पुनर्विचार करें.
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