पल्ली गांव बनी देश की पहली ‘कार्बन न्यूट्रल पंचायत’, पीएम मोदी ने सौर संयंत्र का उद्घाटन किया

पल्ली गांव जम्मू कश्मीर की शीतकालीन राजधानी जम्मू से महज 17 किलोमीटर दूर स्थित है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 24, 2022, 03:51 PM IST
  • जम्मू से महज 17 किलोमीटर है दूर
  • लोगों ने की परियोजना में मदद
पल्ली गांव बनी देश की पहली ‘कार्बन न्यूट्रल पंचायत’, पीएम मोदी ने सौर संयंत्र का उद्घाटन किया

सांबा: जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती सांबा जिले में स्थित पल्ली गांव देश की पहली ‘‘कार्बन न्यूट्रल पंचायत’’ के तौर पर रविवार को भारत के ‘‘आधुनिक इतिहास’’ में दर्ज हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिकॉर्ड तीन हफ्तों में लगाए 500 किलोवॉट का सौर ऊर्जा संयंत्र देश को समर्पित किया.

पीएम मोदी ने लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि पल्ली ने देश को कार्बन न्यूट्रल राष्ट्र का लक्ष्य हासिल करने का रास्ता दिखाया है. उन्होंने कहा, ‘‘पल्ली के लोगों ने परियोजना में मदद की है. उन्होंने परियोजना में कार्यरत लोगों को भोजन भी उपलब्ध कराया.’’ 

ग्राम ऊर्जा स्वराज के तहत मिलेगी बिजली

अधिकारियों ने बताया कि कुल 6,408 वर्ग मीटर क्षेत्र में लगे सभी 1,500 सौर पैनल केंद्र सरकार के ‘ग्राम ऊर्जा स्वराज’ कार्यक्रम के तहत आधुनिक पंचायत के 340 घरों को स्वच्छ बिजली मुहैया कराएंगे. प्रधानमंत्री के दौरे से जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती सांबा जिले में पल्ली के निवासी उत्साहित नजर आए. निवासियों ने इस दिन को भारत के विकास और बदलाव के आधुनिक इतिहास में ‘‘बहुत महत्वपूर्ण दिन’’ बताया.

पल्ली के निवासी गुरदीप सिंह ने कहा, ‘‘यह हमारे लिए बहुत खुशी का तथा महत्वपूर्ण दिन है. मोदी जी के आशीर्वाद से यह गांव पहला कार्बन न्यूट्रल सौर गांव के तौर पर भारत के इतिहास में दर्ज हो गया है. हम इस गांव को चुनने के लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हैं.’’

 सभी घरों को दिए जाएंगे चूल्हे

जर्जर सड़कों से लेकर हाल में शुरू की गई इलेक्ट्रिक बस सेवा तक इस गांव में आधुनिक पंचायत घर, सरकारी उच्च स्कूल की इमारत की मरम्मत, नया तालाब बनाने और खेल के मैदानों में सुधार के साथ बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. यह गांव जम्मू कश्मीर की शीतकालीन राजधानी जम्मू से महज 17 किलोमीटर दूर स्थित है. 

अधिकारियों ने बताया कि यह परियोजना रिकॉर्ड वक्त में 2.75 करोड़ रुपये की लागत से पूरी की गयी है. इस संयंत्र में उत्पन्न बिजली को गांव में वितरित किया जाएगा. इस गांव की बिजली की दैनिक आवश्यकता 2,000 यूनिट की है.

उन्होंने बताया कि इस गांव में 450 घर हैं और उन्हें सौर ‘चूल्हे’ दिए गए हैं तथा प्रधानमंत्री के दौरे के बाद अगले चरण तक सभी घरों को चूल्हे दिए जाएंगे.

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