नई दिल्ली: Pariksha Pe Charcha: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (29 जनवरी) को 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम में हिस्सा लिया. यह इस क्रार्यक्रम 7वां संस्करण है. हर साल की भांति इस साल भी बोर्ड एग्जाम से पहले पीएम मोदी ने छात्रों, अभिभावकों और टीचर्स को संबोधित किया है. दिल्ली के भारत मंडपम में सुबह 11 बजे से यह कार्यक्रम शुरू हुआ. स्कूलों में इसका लाइव टेलीकास्ट भी दिखाया गया. परीक्षा के प्रेशर से मुक्ति को लेकर पीएम मोदी ने छात्रों को कुछ टिप्स दिए हैं. आइए, जानते हैं कि मोदी सर के 5 खास टिप्स....
ये हैं PM मोदी के खास टिप्स
1. दूसरों से ईर्ष्या न करें: पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि कॉम्पिटिशन हमेशा खुद से करो. दूसरों के प्रति ईर्ष्या भाव नहीं होना चाहिए. दोस्तों को एक-दूसरे से नॉलेज शेयर करनी चाहिए. छात्रों को अपने दोस्तों से स्पर्धाभाव में नहीं डूबना चाहिए. माता-पिता को भी बच्चों में प्रतिस्पर्धा का भाव पैदा नहीं करना चाहिए.
2. लिखने की प्रैक्टिस करें: पीएम मोदी ने कहा कि परीक्षा में सबसे बड़ा चैलेंज 'लिखना' होता है. इसलिए जरूरी है कि परीक्षा से पहले जो पढ़ा है, उसे लिखें. इसके बाद कोई गलती होने पर खुद ही उसे ठीक करें. आप जितना लिखेंगे, शार्पनेस उतनी ही ज्यादा होगी. परीक्षा हॉल में ये न देखें कि अगल-बगल वाले कितनी स्पीड से लिख रहे हैं. सिर्फ खुद पर भरोसा रखें.
3. परीक्षा से पहले हंसी-मजाक करें: पीएम मोदी ने छात्रों को सलाह दी कि परीक्षा से पहले 5-10 मिनट मजाक कर लेना चाहिए. इससे तनाव नहीं होगा. पीएम ने कहा कि परीक्षा से पहले आराम से बैठें, हंसी-मजाक करते हुए 5-10 मिनट बिताएं. इससे आप खुद में खो जाएंगे. इससे परीक्षा की टेंशन से बाहर निकल जाएंगे. प्रश्न पत्र आएगा तो आप आराम से कर पाएंगे. पहले पूरा प्रश्न पत्र पढ़ें. इसके बाद फैसला करें कि आपको कैसे करना है.
4. बच्चों को नई पेन न दें: पीएम ने कहा कि अक्सर माता-पिता एग्जाम के दिन बच्चे को नई पेन लाकर देते हैं. लेकिन मेरा उनसे आग्रह है कि ऐसा न करें. बच्चों को वही पेन दें, जो रोज यूज करते हैं. बच्चे को कपड़े के लिए भी न टोकें. जो वो पहन रहा है, उसे पहनने दीजिए. इससे एग्जाम में उसे कंफर्ट फील होगा.
5. परिवार दबाव न बनाएं: परीक्षा से पहले छात्रों पर पड़ने वाले पारिवारिक दबाव को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि परीक्षा को लेकर माता-पिता भाई-बहन और टीचर्स का दबाव होता है. माता-पिता रूकते हैं, तो आपके बड़े भाई-बहन या टीचर ही डांटना शुरू कर देते हैं. इससे छात्रों पर दबाव बढ़ता है. इस समस्या को अकेले छात्र खत्म नहीं कर सकते हैं. इसके लिए परिवारों और शिक्षकों के बीच चर्चा करने की जरूरत है.
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