भारत अब बाल विवाह को खत्म करने के लिए तेजी से काम नहीं कर रहा? जानिए क्या कहता है ये सर्वे

Child Marriage: अध्ययनकर्ताओं ने 1993 से 2021 तक भारत के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद पाया कि मणिपुर, पंजाब, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल समेत छह राज्यों में बालिका विवाह के मामले बढ़े हैं जबकि छत्तीसगढ़, गोवा, मणिपुर और पंजाब समेत आठ राज्यों में बाल विवाह के मामलों में बढ़ोतरी हुई है.

Written by - PTI Bhasha | Last Updated : Dec 16, 2023, 07:08 PM IST
  • हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता और भारत सरकार से जुड़े लोगों का सर्वे
  • बाल विवाह में राष्ट्रीय स्तर पर गिरावट आई है
भारत अब बाल विवाह को खत्म करने के लिए तेजी से काम नहीं कर रहा? जानिए क्या कहता है ये सर्वे

नई दिल्ली: भारत में पांच में से एक लड़की और छह में से एक लड़का विवाहित है और हाल के वर्षों में बाल विवाह की प्रथा को समाप्त करने की दिशा में हुई प्रगति पूरी तरह से रुकी हुई है. 'द लेंसेट ग्लोबल हेल्थ' पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में यह जानकारी दी गई है. अध्ययनकर्ताओं ने अपने अध्ययन में कहा कि 2016 से 2021 के बीच, कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बाल विवाह की प्रथा भी आम हो गई.

अध्ययनकर्ताओं ने 1993 से 2021 तक भारत के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद पाया कि मणिपुर, पंजाब, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल समेत छह राज्यों में बालिका विवाह के मामले बढ़े हैं जबकि छत्तीसगढ़, गोवा, मणिपुर और पंजाब समेत आठ राज्यों में बाल विवाह के मामलों में बढ़ोतरी हुई है.

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता ने बताया...
अध्ययन दल में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता और भारत सरकार से जुड़े लोग शामिल थे. उन्होंने कहा कि बाल विवाह में राष्ट्रीय स्तर पर गिरावट आई है. उन्होंने पाया कि बालिका विवाह की व्यापकता 1993 में 49 प्रतिशत से घटकर 2021 में 22 प्रतिशत हो गई, जबकि बाल विवाह की व्यापकता 2006 में 7 प्रतिशत से घटकर 2021 में 2 प्रतिशत हो गई. अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि फिर भी, हाल के वर्षों में बाल विवाह की प्रथा को पूरी तरह से खत्म करने की दिशा में जो प्रगति हुई थी, वह 2016 स 2021 के बीच के वर्षों रुक गई है.

इसके अलावा 2006 से 2016 के बीच बाल विवाह की संख्या में सबसे अधिक कमी आई. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) बाल विवाह को 'मानवाधिकारों के उल्लंघन' के रूप में देखता है, क्योंकि इससे लड़कियों और लड़कों के विकास से समझौता होता है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के अनुसार, बाल विवाह का कारण अक्सर लैंगिक असमानता होती है और लड़कियां इस प्रथा से असमान रूप से प्रभावित होती हैं.

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