'देश के मुसलमानों का पैदल चलना तक दुश्वार हो गया है', भड़काऊ बयान पर छिड़ा संग्राम

देवबंद के जमीयत सम्मेलन में इस्लामोफोबिया विरोधी दिवस मनाने की मांग की गई. मदनी ने कहा- भारत में मुसलमानों का सड़क पर चलना मुश्किल हुआ.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 28, 2022, 04:24 PM IST
  • ज्ञानवापी बहाना, मुस्लिमों को भड़काना?
  • महमूद मदनी ने सरकार पर उठाए सवाल
'देश के मुसलमानों का पैदल चलना तक दुश्वार हो गया है', भड़काऊ बयान पर छिड़ा संग्राम

नई दिल्ली: ज्ञानवापी पर सियासत तेज है. जमीयत-उलेमा-ए-हिंद का देवबंद में विशाल सभा है. 2 दिन तक चलने वाली इस बैठक में मथुरा और कुतुब मीनार जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होगी. जमीयत से जुड़े 5 हजार मौलाना, मुस्लिम बुद्धिजीवी शामिल हुए. पहले दिन जमीयत उलेमा के अध्यक्ष महमूद मदनी ने कहा कि अखंड भारत की बात करते हैं लेकिन देश के मुसलमान को पैदल चलना तक दुश्वार हो गया है.

मौलाना महमूद मदनी की भड़काऊ बयानबाजी

वहीं मदनी ने मुस्लिमों को भड़काने की कोशिश की और कहा कि सब जातियां खत्म जाएगी लेकिन अल्लाह का नाम रहेगा. मौलाना महमूद मदनी ने सरकार पर सवाल उठाए हैं. मदनी ने कहा कि सरकारों की खामोशी अफसोसजनक है. आपको बता दें यूपी के देवबंद में जमीयत उलेमा ए हिंद की दो दिनों की बैठक चल रही है. आज इस बैठक का पहला दिन है और मदनी इस संगठन के अध्यक्ष हैं.

यूपी के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा है कि मौलाना मदनी का बयान गलत है. सरकार सभी के लिए काम कर रही है.

वहीं भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने मदनी पर पलटवार करते हुए कहा कि मदनी जी इकलौते नहीं है ज्ञानवापी के नाम पर यह सभी संविधान पापी बढ़कर भड़काऊ भाईजान कंपटीशन में लगे हुए हैं. कभी ओवेसी औरंगजेब को महान बताते हैं कभी कांग्रेस जनेऊ धारी होने का दावा करती है और शिवलिंग मिलने को तमाशा बताती है.

महमूद मदनी ने क्या-क्या कहा? पढ़िए पूरा बयान

मौलाना महमूद मदनी का पूरा बयान-
'बड़ों का सहारा उठ गया. हालात मुश्किल हैं, लेकिन मायूसी की जरूरत नहीं है. हमारा जिगर जानता है की हमारी क्या मुश्किलें हैं. हां, मुश्किल झेलने के लिए ताकत-हौंसला चाहिए. हम जुल्म को बर्दाश्त कर लेंगे, दुखों को सह लेंगे, लेकिन अपने मुल्क पर आंच नहीं आने देंगे. यह फैसला कमजोरी नहीं, जमीयत की ताकत की वजह से है. हम हर चीज पर समझौता कर सकते हैं, लेकिन ईमान से समझौता बर्दाश्त नहीं.'

'खामोशी, सब्र का इम्तेहान. वो चाहते क्या हैं? उनका एक्शन प्लान क्या है? समझ लीजिए, मैं बार बार कह रहा हूं. जो नफरत के पुजारी हैं, आज वो ज्यादा नजर आ रहे हैं. अगर हमने उन्हीं के लहजे में जवाब देना शुरू किया तो वो अपने मकसद में कामयाब हो जायेंगे. मुल्क की साइलेंट मेजोरिटी इस बात को समझती हैं? की ऐसे लोग मुल्क के गद्दार हैं. नफरत का जवाब नफरत से नहीं दिया जा सकता. नफरत को मोहब्बत से बुझाया जा सकता है.'

'वो देश को अखंड भारत बनाने की बात करते हैं और देश के मुसलमान को पैदल चलना तक दुश्वार कर दिया है. वो मुल्क के साथ दुश्मनी कर रहे हैं. जरूरत पड़ेगी तो दारूल रसम को आबाद करेंगे.'

'वो देश को अखंड भारत बनाने की बात करते हैं और देश के मुसलमान को पैदल चलना तक दुश्वार कर दिया है. वो मुल्क के साथ दुश्मनी कर रहे हैं. जरूरत पड़ेगी तो दारूल रसम को आबाद करेंगे.'

मस्जिदों को लेकर मदनी ने कही ये बड़ी बात

उन्होंने कहा कि 'मस्जिदों के बारे में भी बात होगी. कल इस पर चर्चा होगी. जमात के फैसले से पहले कोई बात नहीं होगी और जमात के फैसले के बाद कोई कदम पीछे नहीं हटेगा. सिर्फ अल्लाह का नाम रहेगा, बाकी सब तो जातियां हैं और ये जातियां तो खत्म हो जाएंगी. अगर जमीयत ए उलेमा कमजोर हो गया तो भारत का मुसलमान कमजोर हो जाएगा.'

'मीडिया के माध्यम से दीवारें खड़ी की जा रही हैं. न्यूज के माध्यम से कैसे मेरे ये आपके जुमले को अलग तरीके से पेश करके खड़ा किया जाए. नतीजा ये है कि ये खाई बढ़ रही है. ये हमारी और सरकार के साथ मीडिया की भी जिम्मेदारी है कि इस खाई को दूर करें. अगर ये खाई दूर नहीं हुई तो इसके जिम्मेदार आप होंगे.'

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