नई दिल्ली: Bangladesh: बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद से अशांति अधिक बढ़ गई है. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मुल्क में दोबारा तख्तापलट हो सकता है. जिन छात्र नेताओं के दम पर शेख हसीना से सत्ता छीनी गई थी, आज वही छात्र नेता ढाका के शहीद मीनार पर इकट्ठा होकर क्रांति का ऐलान करने वाले हैं.
'जुलाई क्रांति' का ऐलान
'ढाका ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुहम्मद यूनुस की प्रेस विंग ने ऐलान किया था कि अंतरिम सरकार 'जुलाई क्रांति' का ऐलान करने वाली है. छात्रों और सभी राजनीतिक दलों की मदद से यह तैयार किया जाएगा और कुछ ही दिनों में देशवासियों के सामने पेश किया जाएगा. इस खबर की सूचना मिलते ही छात्र आंदोलन की अगुवाई करने वाले नेताओं ने अपातकालीन बैठक बुलाई और कहा 'जुलाई क्रांति' का ऐलान सरकार नहीं बल्कि वे करेंगे.' मंगलवार 31 दिसंबर 2024 को शहीद मीनार पर होने वाली रैली में इसकी घोषणा की जाएगी. आंदलोन के संयोजक हसनत अबदुल्ला ने कहा,' हम जल्द अपना फैसला सुनाएंगे.' इसके बाद मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव अपनी बात से पलट गए और कहा कि सरकार की ओर से 'जुलाई क्रांति' को लेकर ऐलान की कोई तैयारी नहीं की गई है.
क्या-क्या बदल सकता है?
दावा किया जा रहा है कि बांग्लादेश का संविधान बदलने की आड़ में सबसे पहले इसका नाम ही बदला जाएगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश का नाम इस्लामिक खिलाफ ऑफ बांग्लादेश, इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईस्ट पाकिस्तान और इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश में से किसी एक को चुना जा सकता है. ये भी कहा जा रहा है बांग्लादेश में सुन्नत और शरिया भी लागू किया जा सकता है. इतना ही नहीं बांग्लादेश के राष्ट्रपति और आर्मी चीफ से जबरन इस्तीफा लिया जा सकता है.
दफन हो जाएगा संविधान?
छात्रों का कहना है कि वे साल 1972 में बनाए गए बांग्लादेश के संविधान को दफन कर देंगे. यह 'मुजीबिस्ट चार्टर' है. इसने बांग्लादेश पर भारत का राज चलने दिया है. खालिदा जिया की नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा,' संविधान में अगर कुछ गलत है तो उसे बदला जा सकता है, ऐसे पूरे संविधान को नष्ट करना गलता फैसला हो सकता है.'
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