कुतुब मीनार की होगी खुदाई, खबर निकली अफवाह, जानें क्या है पूरा माजरा

संस्कृति मंत्रालय ने निर्देश दिए हैं कि कुतुब मीनार में मूर्तियों की Iconography कराई जाए. ये खबर अफवाह निकली.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 23, 2022, 02:21 PM IST
  • ऐतिहासिक परिसर में खुदाई की बात झूठी
  • कैसे फैली कुतुब मीनार पर ये बड़ी अफवाह?
कुतुब मीनार की होगी खुदाई, खबर निकली अफवाह, जानें क्या है पूरा माजरा

नई दिल्ली: एक तरफ काशी में ज्ञानवापी सर्वे को लेकर देशभर में संग्राम छिड़ा हुआ है, वहीं दूसरी ओर राजधानी दिल्ली के कुतुब मीनार की खुदाई का फैसला लिया गया. ऐसी अफवाह अचानक रविवार को फैल गई. दरअसल, कुतुब मीनार (Qutub Minar) पर छिड़े संग्राम के बीच ऐसा झूठा दावा सामने आया कि ये फैसला लिया गया है कि ऐतिहासिक परिसर में खुदाई की जाएगी. हालांकि थोड़ी देर बाद ही इसकी सच्चाई सामने आ गई.

मंत्रालय के निर्देश के बाद लिया गया फैसला

संस्कृति मंत्रालय ने कुतुब मीनार में मूर्तियों की Iconography कराने के निर्देश दिए हैं. एक रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है ति इसके लिए परिसर में खुदाई का काम किया जाएगा, बाद में उस रिपोर्ट को खुद संस्कृति मंत्रालय ने खारिज कर दिया और ये बताया कि खुदाई की बात गलत है.

अफवाह तो यहां तक फैली थी कि संस्कृति सचिव ने अधिकारियों के साथ निरीक्षण करने के बाद यह फैसला लिया है. लिहाजा कुतुब मीनार के साउथ में और मस्जिद से 15 मीटर दूरी पर खुदाई का काम शुरू किया जा सकता है.

कैसे फैली इतनी बड़ी अफवाह?

इन दिनों विवादों का दौर चल रहा है, काशी में ज्ञानवापी तो दिल्ली में कुतुब मीनार पर जबरदस्त संग्राम देखा जा रहा है. इस बीच रविवार की सुबह एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि संस्कृति सचिव गोविंद मोहन ने 12 लोगों की टीम के साथ कुतुब मीनार परिसर का निरीक्षण किया. टीम में ASI के 4 अधिकारी, 3 इतिहासकार और रिसर्चर मौजूद थे. इसी सर्वे के बाद खुदाई की झूठी बात फैल गई.

ज़ी हिन्दुस्तान ने इस अफवाह की जानकारी भी थोड़ी देर बाद ही एक खबर के जरिए पूरे देश के सामने रख दी थी.

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क्या कहती है साल 1871-72 की वो सर्वे रिपोर्ट?

दिल्ली के कुतुबमीनार पर ICHR के निदेशक ओम जी उपाध्याय ने ज़ी मीडिया पर अपने बयान में कहा था कि कुतुबमीनार को हिंदू मीनार बताया था. आपको बताते हैं कि साल 1871-72 की वो सर्वे रिपोर्ट में क्या है. उसमें बताया गया था कि मीनार के अंदर कुछ शिल्पकृतियां मौजूद हैं, जो बताती हैं कि मीनार सम्राट अशोक के समय से भी पहले की है.

ज़ी मीडिया के पास सर्वे का कागज मौजूद है, कागज पर लिखे हुए शब्द वो सबूत हैं, जो इतिहास के आधे अधूरे सच को पूरा करेंगे. ये कागज़ साल 1872 की उस सर्वे रिपोर्ट के हैं. जो तत्कालीन ASI के अधिकारी जे डी बेगलर ने किया था.

वो सर्वे जिसमें ये दावा किया गया है कि कुतुबमीनार दरअसल सम्राट अशोक के समय से भी पहले की है. कुतुब मीनार के बाएं ओर पर बने प्रवेश द्वार हिंदी अक्षरों में बकायदे 259 लिखा है. और कुतुब मीनार पर मौजूद कुछ शिल्पकृतियां सम्राट अशोक के समय से भी पहले हैं.

इन शिल्पकृतियों से साबित होता है कि मीनार गुप्त काल से भी पहले बनवाई गई थी. रिपोर्ट में कुतुब मीनार पर मौजूद घण्टे, कमल और त्रिभुजग निशान मिलने और खजुराओ मन्दिर जैसी कारीगरी के सबूत मिलने का दावा है. अरबी के निशानों को देख कर लगता है कि कुतुब मीनार के पत्थरों को गहराई से काटने के बाद इन्हें लगाया गया हो.

अपनी रिपोर्ट में ASI के तत्कालीन अधिकारी जे डी बेगलर ने अरबी यात्री इब्नबतूता के एक किताब का भी ज़िक्र किया था. जिसमें इब्नबतूता ने पूरे कुतुब मीनार परिसर को हिन्दू परिसर कहा था और अपनी किताब में यहां 27 मन्दिर होने के बारे में लिखा था.

ICHR के निदेशक ने भी यही दावा किया था कि 'सल्तनत काल में कुतुबुद्दीन और इल्तुतमिश के समकालीन लेखक जिन्होंने इन पर किताबे लिखी हैं, उन्होंने इन किताबो में कुतुब मीनार का जिक्र तक क्यों नही किया? अगर इल्तुतमिश ने इतनी शानदार और उस समय विश्व की सबसे ऊंची इमारत का निर्माण पूरा करवाया था तो उसके बारे में तो लिखना चाहिए था? हां ऐतिहासिक साक्ष्य इशारा करते हैं कि कुतुब मीनार में अरबी में जो कुछ भी लिखा है उसे बाद में इल्तुतमिश या फ़िरोज़शाह तुगलक ने लिखवाया था.'

यही नहीं जे डी बेगलर ने रिपोर्ट में दावा किया था कि उन्हें सर्वे के दौरान देवी लक्ष्मी की दो मूर्तियां भी मिलीं थीं, जबकि इमारत के इस्लामी होने के जो निशान मिले थे वो केवल जोड़ तोड़ की गवाही देर रहे हैं.

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