नई दिल्लीः Bharat Jodo Yatra: कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मध्य प्रदेश से गुजर रही है. इस यात्रा में कहीं-कहीं उत्साह और जोश भी नजर आता है तो कई स्थानों पर भीड़ का टोटा है. इतना ही नहीं नेताओं की आपसी खींचतान भी दिख जाती है.
इसीलिए एक सवाल भी उठ रहा है कि इस यात्रा से राज्य में कांग्रेस नेता कितने एकजुट हो पाएंगे, और पार्टी को कितनी मजबूती मिलेगी.
उज्जैन पहुंच गई है भारत जोड़ो यात्रा
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में 23 नवंबर को प्रवेश किया था. यह यात्रा बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन और इंदौर होते हुए उज्जैन पहुंच गई है. यात्रा का मंगलवार को सातवां दिन है और इन सात दिनों में कांग्रेस के अंदरखाने क्या है, यह कई स्थानों पर साफ नजर भी आया.
लोगों को हो रही भारी असुविधा
यात्रा के राज्य में दाखिल होने के बाद शुरुआत में कुछ स्थानों पर लोगों का यात्रा के प्रति आकर्षण रहा, तो कई स्थानों पर भीड़ कम दिखी, साथ ही यात्रा में चल रहे लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा, खाने तक के लिए परेशान हुए. यही कारण रहा कि राहुल गांधी ने कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं की क्लास भी ले डाली.
इसके अलावा उन्होंने यात्रियों के खाने के लिए दूसरा कैंप भी लगाने को कहा और उसके बाद ऐसा हो भी रहा है.
अन्य राज्यों के मुकाबले व्यवस्थाएं लचर
राहुल गांधी भले ही मध्य प्रदेश में यात्रा को अन्य राज्यों से सफल बता रहे हों, मगर इस यात्रा में साथ चल रहे कुछ लोगों का कहना है कि कर्नाटक, महाराष्ट्र में व्यवस्थाएं बहुत दुरुस्त थी, लेकिन मध्य प्रदेश में आकर उन्हें न तो वह नजारा देखने को मिला, जैसा दूसरे राज्यों में था और व्यवस्थाओं के मामले में भी यहां खामियां साफ दिखी.
सुविधाओं के जुगाड़ में लगे हैं दिल्ली के कुछ नेता!
इस यात्रा में आलम तो यह है कि दिल्ली से चल रहे कुछ नेता राज्य के कई नेताओं पर दबाव डालकर धनराशि के साथ दीगर सुविधाओं का जुगाड़ करने में लगे हैं. ये दिल्ली के ऐसे नेता हैं जो अपने कुछ करीबियों को यात्रा में साथ चलने के लिए नहीं बल्कि मध्य प्रदेश में पर्यटन कराने में ज्यादा रुचि ले रहे हैं.
सीधा संवाद है कम
बुरहानपुर से इंदौर तक की पदयात्रा को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बात की उम्मीद की जा रही थी कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनेगा और कार्यकर्ता व नेता उत्साहित भी होंगे, मगर अब तक ऐसा नहीं हो पाया है. इसका बड़ा कारण यह है कि यात्रा के दौरान राहुल गांधी का स्थानीय और छोटे पदाधिकारियों से सीधा संवाद बहुत कम हुआ है.
यात्रा में तमाम बड़े नेता ही राहुल गांधी के इर्दगिर्द नजर आते हैं. साथ ही इस इलाके में प्रभावशाली नेता पूर्व मंत्री अरुण यादव को यात्रा आने से पहले ही बड़ी जिम्मेदारी से किनारे कर दिया गया था और जिम्मेदारी निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा को सौंपी गई थी.
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