Ram mandir: अयोध्या में बालक राम को चाहिए विश्राम, जानें ऐसा क्यों बोले चंपत राय

Ram mandir: अयोध्या में रोजाना 14 घंटे दर्शन जारी लेकिन ‘बालक राम’(रामलला की मूर्ति) को विश्राम की जरूरत है. राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से लगातार यहां श्रद्धालुओं के भीड़ लग रही है.   

Written by - Shruti Kumari | Last Updated : Feb 9, 2024, 12:33 PM IST
  • हिंदू पक्ष को पूजा-पाठ
  • हर दिन 14 घंटे दर्शन
Ram mandir: अयोध्या में बालक राम को चाहिए विश्राम,  जानें ऐसा क्यों बोले चंपत राय

नई दिल्ली: Ram mandir: अयोध्या के राम मंदिर में इस ठंड में पांच वर्ष के ‘बालक राम’(रामलला की मूर्ति) 14 घंटे बिना विश्राम भक्तों को दर्शन दे रहे हैं. पर अब रामलला को विश्राम की जरूरत है. ये कहना है श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चम्पत राय का. राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ लग रही है. अभी अयोध्या में राम जन्मभूमि हर रोज करीब एक लाख लोग आ रहे हैं.

श्रद्धालुओं के भीड़
चंपत राय के मुताबिक अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद श्रद्धालुओं के सैलाब के मद्देनजर हर दिन 14 घंटे दर्शन की व्यवस्था जारी है लेकिन कई लोगों का मत है कि पांच साल के बालक के रूप में पूजे जाने वाले भगवान राम को बीच-बीच में अच्छी तरह विश्राम की भी आवश्यकता है. राय ने इंदौर में बृहस्पतिवार देर रात यह बात कही है.  राय, विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं. 

न्यास महासचिव ने कहा, ‘‘अनेक लोगों का कहना है कि भगवान के बालक रूप को बीच में अच्छी तरह विश्राम की जरूरत है. आप भी सोचिए कि भगवान के बालक रूप को 14 घंटे जगाना कितना व्यावहारिक है?’’ 

कब तक पूरा होगा मंदिर निर्माण
उन्होंने कहा कि राम मंदिर के ऊपरी तलों, आयताकार परकोटे और इस परिसर के अन्य देवालयों का निर्माण किया जाना बाकी है और मंदिर का सारा काम संभवतः वर्ष 2025 के मध्य या 2025 के अंत तक पूरा होने का अनुमान है. 

मंदिर का निर्माण है बाकी
"रामलला के पटवारी" के रूप में मशहूर राय ने कहा कि राम मंदिर का शेष निर्माण कार्य उचित तालमेल बनाकर कुछ इस तरह पूरा किया जाएगा कि भक्तों को भगवान के दर्शन में कोई भी परेशानी न हो. उन्होंने कहा,‘‘हम सुनिश्चित करेंगे कि मंदिर के शेष निर्माण कार्य और श्रद्धालुओं द्वारा भगवान के दर्शन में कोई भी बाधा न हो. इसके लिए हम इंजीनियरों के साथ बैठेंगे और सोच-समझकर फैसला करेंगे.’’ 

ज्ञानवापी पर भी बोले
वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के कानूनी मसले पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस विषय में अभी कुछ भी नहीं सोचता. मेरी दृष्टि बहुत स्पष्ट है. मैं समाज के किसी भी व्यक्ति की भावनाओं को चोट नहीं पहुंचा रहा हूं. दोपहर का खाना जब पच जाए, तब शाम को भोजन करना चाहिए, वरना कुपच हो जाता है. मैं समाज से कहूंगा कि एक चीज को पूरी तरह स्थापित होने दो. बहुत अधिक जोश में बोलना और किसी काम को शांति से पूर्ण करना, इन दोनों बातों में बहुत अंतर है.’’ 

क्या है मामला
वाराणसी की जिला अदालत द्वारा ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा-पाठ का अधिकार दिए जाने के बाद तहखाने को हाल ही में खोला गया था. उसमें पूजा-अर्चना शुरू कर दी गयी थी. इस तहखाने में पूजा-अर्चना स्‍थगित कराने के मुस्लिम पक्ष ने अर्जी दायर की है जिस पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने 15 फरवरी की तारीख तय की है.

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