नई दिल्लीः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कुछ सप्ताह पहले चीन के साथ तनाव कम करने के लिए हुए समझौते के बारे में मंगलवार को लोकसभा में बयान दिया. उन्होंने कहा कि इस सरकार का रुख स्पष्ट है कि बीजिंग के साथ संबंधों के विकास के लिए सीमा पर शांति जरूरी है.
2020 से असामान्य रहे हैं भारत-चीन संबंध
उन्होंने निचले सदन में भारत-चीन संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और गलवान घाटी की झड़प के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए कहा कि भारत और चीन के संबंध 2020 से असामान्य रहे, जब चीन की कार्रवाइयों की वजह से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बाधित हुई.
'कुछ सुधार की दिशा में बढ़े हैं भारत-चीन संबंध'
जयशंकर ने कहा, 'सतत कूटनीतिक साझेदारी को दर्शाने वाले हालिया घटनाक्रम ने भारत-चीन संबंधों को कुछ सुधार की दिशा में बढ़ाया है.' उनका कहना था, 'हम चीन के साथ इस दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि सीमा मुद्दे पर समाधान के लिए निष्पक्ष और परस्पर स्वीकार्य रूपरेखा पर पहुंचें.'
टकराव वाले बिंदुओं पर पीछे हटे
उनके मुताबिक, तनाव को कम करने के लिए कूटनीतिक प्रयास किए गए ताकि शांति बहाल की जा सके. जयशंकर ने कहा, 'बुनियादी प्राथमिकता थी कि टकराव वाले बिंदुओं से सुरक्षा बल पीछे हटें और इसमें सफलता मिली है.' उन्होंने कहा, 'हम इसे लेकर सुस्पष्ट हैं कि सीमा पर शांति की बहाली ही संपूर्ण संबंधों को आगे बढ़ाने का आधार होगा.' विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा पर इस तरह के तनाव के चलते चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं रह सकते थे.
अक्टूबर में भारत-चीन के बीच हुआ समझौता
भारत और चीन इस साल अक्टूबर में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त के लिए एक समझौते पर सहमत हुए थे. जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद भारत और चीन के बीच संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए थे. यह झड़प पिछले कुछ दशकों में दोनों पक्षों के बीच हुई सबसे भीषण सैन्य झड़प थी.
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