नई दिल्लीः संत केशवानंद भारती नहीं रहे, रविवार को उनका निधन हो गया. केशवानंद भारती का नाम संविधान, सुप्रीम कोर्ट और भारत की कानून व मूल अधिकार व्यवस्था के साथ जुड़ा हुआ है, इसके साथ उनकी पहचान बनी हुई है. रविवार तड़के उन्होंने अंतिम सांस ली. आध्यात्म के साथ ही संगीत व नृत्य भी उनके जीवन से जुड़े रहे.
79 साल की उम्र में हुआ निधन
जानकारी के मुताबिक, सांस लेने की तकलीफ और हृदय में दिकक्तों के चलते उन्हें मैंगलुरु के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
पुलिस ने बताया कि केरल निवासी संत केशवानंद भारती श्रीपदगवरु का इदानीर मठ में उम्र संबंधी बीमारियों की वजह से 79 साल की उम्र में निधन हो गया.
साल 1961 से थे मठ के प्रमुख
वे साल 1961 से मठ के प्रमुथ थे. संत होने के साथ-साथ एक क्लासिकल सिंगर भी थे. 15 साल तक उन्होंने यक्षगाना मेला में गायक और डायरेक्टर के तौर पर भाग लिया. उन्होंने मठ में कई साहित्यिक कार्यक्रम भी चलाया.
कर्नाटक लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष और स्वामीजी के भक्त, श्याम भट ने अंग्रेजी अखबार हिंदू से बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने यक्षगान को अलग पहचान दी साथ ही उन्हें वो प्रमुखता मिली, जिसके वे हकदार थे.
मठ की संपत्ति को लेकर लड़ी कानूनी लड़ाई
भारती, केरल के कासरगोड़ में इदानीर मठ के प्रमुख थे. देश उन्हें संविधान को बचाने वाले शख्स के तौर पर याद रखेगा. दरअसल आज से 47 साल पहले यानी 1973 में उन्होंने केरल सरकार (Kerala Government) के खिलाफ मठ की संपत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी थी. उस वक्त 13 जजों की बेंच ने संत केशवानंद के पक्ष में संविधान के मौलिक अधिकार को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था.
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