नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के परिवार के एक सदस्य की ओर से 'कांसुलर संपर्क' संबंधी याचिका को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया. निखिल अमेरिका में सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश रचने के आरोप में चेक गणराज्य की जेल में बंद है.
'आपको कांसुलर एक्सेस पहले ही मिली'
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा, 'हम इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं. आप 'वियना कन्वेंशन' के तहत 'कांसुलर एक्सेस' के हकदार हैं, जो आपको पहले ही मिल चुकी है.' पीठ ने गुप्ता के परिवार वालों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी.ए. सुंदरम से कहा कि इस अदालत को विदेशी अदालत के अधिकार क्षेत्र और संप्रभुता तथा उस देश के कानून का सम्मान करना चाहिए और इसलिए वह मामले के गुण-दोषों पर नहीं जा सकते.
'विदेशी कोर्ट के बारे में बोलने की इजाजत नहीं'
जब सुदंरम ने यह कहने का प्रयास किया कि गुप्ता को एकांत कारावास में रखा गया है और अभियोग के बाद उन्हें कोई 'कांसुलर संपर्क' नहीं दिया गया, पीठ ने सुंदरम से कहा, 'हम आपको विदेशी अदालत के बारे में कुछ भी बोलने की इजाजत नहीं देंगे.' सुंदरम ने कहा कि यह पूरी तरह से मानवाधिकार का मुद्दा है और उन्होंने भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय से सहायता मांगी, लेकिन कोई मदद नहीं मिली.
कोर्ट ने दलीलों पर की ये टिप्पणी
सुंदरम ने कहा, 'मैं एक भारतीय नागरिक हूं...मुझे विदेश में अपनी रक्षा करने के लिए कोई सहायता नहीं मिली. 'कांसुलर संपर्क' का मतलब यह नहीं है कि कोई व्यक्ति एक बार आकर आपसे मिल ले और फिर बात खत्म हो जाए.' पीठ ने कहा कि रिट याचिका में गुप्ता के अनुरोध को देखते हुए वह इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकती.
'ऐसा कोई आदेश नहीं पारित कर सकते'
सुंदरम ने उनके अभ्यावेदन पर गौर करने के लिए भारत सरकार को निर्देश देने की मांग की. इस पर पीठ ने कहा कि इस पर विचार करना भारत सरकार का काम है और वह ऐसा कोई आदेश पारित नहीं कर सकती. पीठ ने कहा कि 17 सितंबर 2023 को गुप्ता को मामले में 'कंसुलर संपर्क' मिल चुका है और उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय का भी रुख किया है. अदालत ने कुछ आदेश पारित किए थे.
पिछले साल 15 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने गुप्ता के परिवार के एक सदस्य द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई टाल दी थी.
चेक गणराज्य में किया गया था अरेस्ट
गुप्ता को 30 जून को चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने एकांत कारावास में गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है, जिसमें गोमांस और सूअर का मांस खाने के लिए मजबूर किया जाना भी शामिल है. यह भी आरोप लगाया गया है कि उन्हें 'कांसुलर एक्सेस' के तहत भारत में अपने परिवार से संपर्क करने के अधिकार और कानूनी मदद लेने की स्वतंत्रता से वंचित कर दिया गया.
अमेरिका में संघीय अभियोजकों ने गुप्ता पर पिछले साल 29 नवंबर को अमेरिकी धरती पर पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया था.
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