जानें- क्या है Sonam Wangchuk की मांगें? क्यों लद्दाख में 15 दिन से कर रहे भूख हड़ताल

Why Sonam Wangchuk is protesting: र्यावरणविद् सोनम वांगचुक ने लेह स्थित शीर्ष निकाय और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के संयुक्त प्रतिनिधियों के बीच बातचीत के बाद अपना 'जलवायु उपवास' शुरू किया, जो चार सूत्री मांगों के समर्थन में आंदोलन है.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Mar 20, 2024, 09:31 AM IST
  • सोनम वांगचुक चार प्रमुख मांगों पर जोर दे रहे हैं
  • वांगचुक ने मोदी सरकार पर लगाया आरोप
जानें- क्या है Sonam Wangchuk की मांगें? क्यों लद्दाख में 15 दिन से कर रहे भूख हड़ताल

Why Sonam Wangchuk is protesting: कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने मंगलवार को प्रसिद्ध शिक्षा सुधारवादी सोनम वांगचुक के साथ एकजुटता दिखाते हुए बुधवार, 20 मार्च को आधे दिन की आम हड़ताल का आह्वान किया. वांगचुक केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग को लेकर 6 मार्च से लेह में भूख हड़ताल पर हैं.

शून्य से नीचे तापमान का सामना करते हुए, पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक ने लेह स्थित शीर्ष निकाय और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के संयुक्त प्रतिनिधियों के बीच बातचीत के बाद अपना 'जलवायु उपवास' शुरू किया, जो चार सूत्री मांगों के समर्थन में आंदोलन है.

की बड़ी घोषणा
सोनम वांगचुक ने मंगलवार को कहा कि वह अन्य आंदोलनकारियों के साथ, बाहरी दुनिया के सामने जमीनी हकीकत को उजागर करने के लिए जल्द ही एक सीमा मार्च की योजना बना रहे हैं. उन्होंने घोषणा की, 'हमारे खानाबदोश दक्षिण में विशाल भारतीय औद्योगिक संयंत्रों और उत्तर में चीनी अतिक्रमण के कारण अपनी प्रमुख चारागाह भूमि खो रहे हैं. जमीनी हकीकत दिखाने के लिए हम जल्द ही 10,000 लद्दाखी चरवाहों और किसानों के बॉर्डर मार्च की योजना बना रहे हैं.'

क्या हैं सोनम वांगचुक की मांगें?
विरोध प्रदर्शन के माध्यम से, सोनम वांगचुक चार प्रमुख मांगों पर जोर दे रहे हैं जिनमें क्षेत्र में राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची का कार्यान्वयन शामिल है.

संविधान की छठी अनुसूची भूमि की सुरक्षा और देश के जनजातीय क्षेत्रों के लिए नाममात्र स्वायत्तता की गारंटी देती है. 2019 में, जम्मू और कश्मीर (J&K) की विशेष संवैधानिक स्थिति को समाप्त करने के हिस्से के रूप में, नई दिल्ली ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश (UT) का दर्जा दिया था.

वांगचुक लेह और कारगिल जिलों के लिए एक अलग लोकसभा सीट, एक भर्ती प्रक्रिया और लद्दाख के लिए एक अलग लोक सेवा आयोग की भी मांग कर रहे हैं.

उनका यह भी दावा है कि केंद्र शासित प्रदेश के टैग ने लद्दाख को औद्योगिक शोषण के प्रति संवेदनशील बना दिया है जो हिमालय क्षेत्र के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को तबाह कर सकता है.

सोनम वांगचुक का आरोप है कि चार साल की देरी के बाद केंद्र ने वादों को पूरा करने से सीधे तौर पर इनकार कर दिया है. वांगचुक ने यह भी कहा कि विधानसभा चुनावों के बाद जम्मू-कश्मीर को पूर्ण लोकतंत्र मिलने की संभावना है, वहीं लद्दाख को नई दिल्ली से नियंत्रित नौकरशाही के शासन के अधीन छोड़ दिया जाएगा.

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़