नोट लेकर सदन में वोट या भाषण दिया तो केस चलेगा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सांसदों-विधायकों को नहीं दे सकते छूट

नोट लेकर सदन में वोट या भाषण देने पर सांसदों-विधायकों को छूट नहीं मिलेगी. सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए सदन में वोट डालने और भाषण देने के लिए रिश्वत लेने पर सांसदों और विधायकों को केस चलने से छूट देने के 1998 के फैसले को पलट दिया.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 4, 2024, 11:31 AM IST
  • 'हम पीवी नरसिम्हा मामले के फैसले से असहमत'
  • छूट का दावा नहीं कर सकते हैं सांसद-विधायक
नोट लेकर सदन में वोट या भाषण दिया तो केस चलेगा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सांसदों-विधायकों को नहीं दे सकते छूट

नई दिल्लीः नोट लेकर सदन में वोट या भाषण देने पर सांसदों-विधायकों को छूट नहीं मिलेगी. सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए सदन में वोट डालने और भाषण देने के लिए रिश्वत लेने पर सांसदों और विधायकों को केस चलने से छूट देने के 1998 के फैसले को पलट दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिश्वतखोरी संसदीय विशेषाधिकारों द्वारा संरक्षित नहीं है. साल 1998 के फैसले की व्याख्या संविधान के अनुच्छेद 105, 194 के विपरीत है. अनुच्छेद 105 और 194 संसद और विधानसभाओं में सांसदों और विधायकों की शक्तियों एवं विशेषाधिकारों से संबंधित हैं. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने पीठ के लिए फैसले का मुख्य भाग पढ़ते हुए कहा कि रिश्वतखोरी के मामलों में इन अनुच्छेदों के तहत छूट नहीं है क्योंकि यह सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को नष्ट करती है. 

 

'हम पीवी नरसिम्हा मामले के फैसले से असहमत'

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हम पीवी नरसिम्हा मामले के फैसले से असहमत हैं और पीवी नरसिम्हा मामले के फैसले से विधायकों को वोट देने या भाषण देने के लिए कथित तौर पर रिश्वत लेने से छूट मिलती है, जिसके 'व्यापक प्रभाव होंगे और इसे खारिज किया जाता है.'

छूट का दावा नहीं कर सकते सांसद-विधायक

सुप्रीम कोर्ट की सात-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला लिया कि कोई सांसद या विधायक संसद/विधानसभा में वोट/भाषण के संबंध में रिश्वतखोरी के आरोप में अभियोजन से छूट का दावा नहीं कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट की सात-न्यायाधीशों की पीठ ने अपने सर्वसम्मत विचार से 1998 के पीवी नरसिम्हा राव फैसले मामले को खारिज कर दिया, जिसमें सांसदों/विधायकों को संसद में मतदान के लिए रिश्वतखोरी के खिलाफ मुकदमा चलाने से छूट दी गई थी.

 

वकील अश्विनी उपाध्याय ने बताया, 'आज सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ ने कहा कि अगर कोई सांसद राज्यसभा चुनाव में सवाल पूछने या वोट देने के लिए पैसे लेता है, तो वे अभियोजन से छूट का दावा नहीं कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वोट देने के लिए पैसे लेना या प्रश्न पूछना भारतीय संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली को नष्ट कर देगा...'

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