हैदराबाद एनकाउंटर: सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई

हैदराबाद पुलिस ने 6 दिसंबर को एनकाउंटर में रेप और मर्डर के चारों आरोपियों को मार गिराया था. सुप्रीम कोर्ट इसी मामले में जांच करेगा कि ये असली एनकाउंटर था या फर्जी.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 18, 2019, 05:13 AM IST
हैदराबाद एनकाउंटर: सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई

दिल्ली: हैदराबाद में महिला वेटनरी डॉक्टर से साथ रेप के चारों आरोपियों के एनकाउंटर मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा. प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह इस बात की जांच करेगी कि तेलंगाना हाईकोर्ट किसकी निगरानी कर रहा है.

 6 दिसंबर को हैदराबाद पुलिस ने किया था एनकाउंटर

हैदराबाद में एक महिला डॉक्टर से हैवानियत का कलंक जिन आरोपियों पर लगा था उन्हें तेलंगाना पुलिस ने बीते 6 दिसंबर 2019 को एनकाउंटर में ढ़ेर कर दिया था. और इसी के साथ माना गया कि पीड़ित परिवार का इंसाफ पूरा हो गया. लेकिन उसके बाद ये सवाल उठने लगे कि ऐसा रातोंरात क्या हुआ कि सभी चारों आरोपियों को अहले सुबह मार दिया गया. अब यह मामला देश की सबसे बड़ी अदालत के दरवाजे पर जा पहुंचा है.

 तेलंगाना सरकार ने गठित की थी SIT

 तेलंगाना सरकार ने शादनगर कस्बे के पास छह दिसंबर को हुई 'मुठभेड़' की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया था. इस मुठभेड़ में पुलिस ने एक वेटनरी डॉक्टर युवती से गैंगरेप और मर्डर के चार आरोपियों का एनकाउंटर कर दिया था. इस आठ सदस्यीय एसआईटी का नेतृत्व राचकोंडा पुलिस आयुक्त महेश एम. भागवत कर रहे हैं. दूसरे अधिकारियों में एक महिला सहित राज्य के विभिन्न भागों के अधिकारी भी शामिल हैं.

27 नवंबर को हुई रेप और मर्डर की वारदात

महिला पशु चिकित्सक से हैदराबाद के बाहरी इलाके शमशाबाद में 27 नवंबर को सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उसके शव को शादनगर कस्बे के पास जला दिया गया. शादनगर कस्बा, हैदराबाद से करीब 50 किमी दूर है. दोनों अपराध स्थल साइबराबाद पुलिस की सीमा में आते हैं.

याचिकाकर्ताओं ने स्वतंत्र जांच की मांग की

याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि स्वतंत्र जांच एजेंसी को फर्जी मुठभेड़ में हत्या की जांच (पीयूसीएल बनाम महाराष्ट्र राज्य) के संबंध में जारी दिशा निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद मुठभेड़ मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा शुरू की गई कार्यवाहियों पर भी रोक लगा दी थी.

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