नई दिल्लीः इस वक्त पूरा देश कोरोना संकट से जूझ रहा है. एक वायरस, जो दिख भी नहीं रहा है वह हमारी जिंदगी के लिए चुनौती बना हुआ है. राज्यों के सामने विकास की राह में रोड़ा बना यह कोरोना संकट मुख्यमंत्रियों के लिए एक बड़ी चुनौती है. जी हिंदुस्तान से बातचीत करते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इन्हीं चुनौतियों पर अपने विचार रखे और यह भी बताया कि वह कैसे इनका सामना कर रहे हैं.
1447 जमाती खोजे गए, सभी को किया क्वारंटाइन
सीएम रावत के मुताबिक 15 मार्च को उत्तराखंड में कोरोना का पहला पॉजिटिव केस सामने आया था. इससे भी बहुत पहले 25 जनवरी को नेपाल में एक कोरोना पॉजिटिव केस सामने आने की जानकारी मिली थी. नेपाल की लगभग 500 से 600 किलोमीटर लंबी सीमा उत्तराखंड से लगती है. तभी से हमने नेपाल सीमा पर स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी. 15 मार्च को पहला केस सामने आने के बाद 17 मार्च को अपने तमाम स्कूल बंद कर दिए. सीएम रावत ने बताया कि वर्क फ्रॉम होम शुरू करवाने वाले हम पहले राज्य हैं. जमात का मामला सामने आया तो सरकार ने तुरंत जमातियों की खोज शुरू कर दी. शुरू में हमारे पास 126 लोगों की लिस्ट थी और आखिर तक 1447 लोगों तक हम पहुंच पाए. इनको खोजकर शत-प्रतिशत क्वारंटाइन किया गया, इलाकों को सील किया गया और महामारी एक्ट को कड़ाई से लागू किया. इसके बाद हम आज की नियंत्रित स्थिति में हैं.
ऐसे बढ़ रहे हैं विकास के पथ पर
सीएम रावत ने कहा कि राज्य की जो फूड प्रोसेसिंग यूनिट और फ़ार्मा इन्डस्ट्री थी उसे चालू रखा गया. भारत से जितनी दवाइयां एक्सपोर्ट होती हैं, उसमें 20% दवाइयां उत्तराखंड में बनती हैं. इंडस्ट्रीज को शुरू कर 40% तक काम होने लग गया है. जो भी उद्योग शुरू करना चाहते हैं, उनको हम तुरंत ऑनलाइन परमिशन देते हैं. सरकारी की कोशिश है कि जो भी उद्योग है, वो चले. मनरेगा के तहत लगभग एक लाख लोगों को रोजगार दे रहे हैं. निर्माण कार्यों को भी अनुमति दी है.
लगभग ढाई लाख लोगों का लाए वापस
राज्य में कहीं पर कुछ प्रतिबंधों के साथ काम चल रहा है, लेकिन मार्केट अभी खुले हैं. इसके अलावा हमारे जो लोग वापस आए हैं. लगभग ढाई लाख लोगों को वापस लाया गया है. इसके लिए हमने एक टीम बनाई है. मंत्री परिषद की टीम बनाई हैं. समिति की एक टीम बनाई है और एक एक्सपर्ट की टीम है. इस पर मंथन जारी है. बहुत जल्द वापस आए लोग बेरोजगार ना रहें, उसके लिए हम बहुत जल्द नीतियां भी बना लेंगे.
केंद्र से मिला सहयोग और मार्गदर्शन भी
सीएम का कहना है कि संकट की इस घड़ी में केंद्र से सहयोग और मार्गदर्शन दोनों मिला है. इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी का आभार जताया है. राज्य में 13 जिले हैं जिनमें तीन-चार प्रभावित हैं. कोरोना की स्थिति कंट्रोल करने में दूसरे-तीसरे राज्य में शुमार हैं. इस वक्त टेस्टिंग लैब बहुत जरूरी है. हमको एक लैब दी गई है. संभावना है कि दो लैब हमें इस महीने में और दी जाए. वेंटिलेटर, पीपीटी और तमाम तरह की जो औषधियों का राज्य में अभाव नहीं है. केंद्र की तरफ से पूरा सहयोग हमें मिल रहा है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत भी अच्छा सहयोग हमें मिला है. जो खाद्यान्न हमें मिला है, जो गरीब हैं उनके खातों में पैसा भारत सरकार ने भेजा है.
प्रदेश की जनता को आश्वासन, आप आराम से रहिए
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की मानें तो सभी संभावनाओं की दृष्टि से उनकी पर्याप्त तैयारियां हैं. उनका कहना है कि हमारे जो डॉक्टर-नर्स हैं कोरोना ट्रीटमेंट के लिए प्रशिक्षित हैं. गढ़वाल मंडल, कुमाऊं मंडल पर्यटन वाले जितने भी हमारे सरकारी होटल हैं, हमने सबको एक्वायर किया है. कुछ प्राइवेट होटल भी एक्वायर किये हैं. हरिद्वार-ऋषिकेश की धर्मशालाएं भी ली गई हैं. अगर आवश्यकता पड़ेगी तो हम उनका इस्तेमाल करेंगे. सभी सरकारी, निजी अस्पतालों और एम्स के बीच अच्छा तालमेल है. आशंका जताई जा रही हैं कि भविष्य में कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं. तो हम उस दृष्टि से पूरी तरह से तैयार हैं. प्रदेश की जनता को मैं आश्वस्त करना चाहूंगा कि आप आराम से रहिए. किसान हों, चाहे पर्यटन के क्षेत्र में काम करने वाले हमारे लोग हों, कई ऑटो रिक्शा चालक होंगे, टैक्सी चालक हैं... उन सब को ध्यान में रखकर हम लोग मंथन कर रहे हैं, कैसे उनका पालन-पोषण आगे चलता रहे, उसके लिए हम विचार कर रहे हैं.
पर्यटन के लिए ग्रीन जोन पर करेंगे विचार
कोरोना से देश प्रभावित हुआ है तो पर्यटन का प्रभावित होना स्वभाविक है. सीएम के मुताबिक कोविड को जाने में अभी समय लगेगा, लेकिन जो ग्रीन जोन हैं, उनके बारे में निश्चित रूप से विचार किया जा सकता है. सौभाग्य है उत्तराखंड का जो पर्वतीय भाग है वह पूरी तरह सुरक्षित है. ऐसे में स्थानीय स्तर पर ग्रामीण रोजगार उत्पन्न करने होंगे, ताकि लोगों के लिये खाद्यान्न की गारंटी रहे और वह स्वयं के बल पर अपना रोजगार स्थापित कर सकें. जैसे ही देश में माहौल ठीक होगा. मुझे लगता है पर्यटन अपने आप ही ठीक होने लग जाएगा.
उद्योगों के संभावित मौकों पर विचार जारी
जो कंपनियां चीन से हट रही हैं, भारत में इसके लिए मौके हैं. ऐसे में हमने राज्य की संभावनाओं को आगे रखा है. दो साल पहले एक समिट में लगभग सवा लाख करोड़ के एमओयू साइन हुए थे. सीएम के मुताबिक इनमें से 30,000 करोड़ रुपए के प्रस्ताव तो ग्राउंड पर हैं कोशिश है कि जो भी काम हो वह जल्द शुरू हो. फार्मा सेक्टर का यहां बहुत स्कोप है. मुझे लगता है कि आने वाले 8-10 सालों में इसकी जरूरत भी महसूस होगी. मेडिकल इक्विपमेंट पार्क, एरोमा पार्क को मंजूरी दी है. आयुर्वेद के लिये उत्तराखंड में अच्छा स्कोप है, जो प्रोजेक्ट ऑलरेडी स्वीकृत हैं, उसको हम प्रारंभ करेंगे.
पलायन रोकने के लिए बनाया है प्लान
सीएम ने बताया कि पलायन रोकने के लिए ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग बनाया गया था जो कि काम कर रहा है. हमारे पास पूरा अध्ययन है कि क्या गांव में रहना चाहने वाले लोगों के लिए कैसी नीतियां हों, वो प्लान तैयार है. इसकी रिपोर्ट जैसे ही हमारे पास आएगी तो योजना शुरू की जाएगी. कुछ लोगों को भी हम इस स्कीम से जोड़ रहे हैं, ताकि जो काफी हद तक कुछ लोग गांव में वापस आ रहे हैं , उनकी क्या इच्छा है, किन विषयों के जानकार हैं, वो सब जानकारी हमारे सामने आ जाए और सरकार के सारे प्रपोजल उनके सामने रखेंगे ताकि वो अपनी रुचि के हिसाब से काम कर सके.
उत्तराखंड में ई-विधानसभा की तैयारी, हर विभाग में ई फैक्टर
सीएम की मानें तो उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां 500 ई- स्कूल हैं. इस दौरान यहां हर स्कूल में ऐसे ही क्लासेज चल रही हैं. इस तरीके की हमारी ई क्लासेस जूनियर हाई स्कूल वाली भी चल रही हैं. यह सच है कि गवर्नमेंट स्कूलों में, विशेषकर जो महानगरीय क्षेत्रों में है, उनमें गरीब लोगों के ही बच्चे ज्यादातर पढ़ते हैं और उनके पास काफी हद तक स्मार्टफोन नहीं हैं, लेकिन जहां-जहां ये उपलब्ध है, वहां पर उनको पढ़ाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कोई समस्या नहीं है और फ्यूचर में हमारे जितने भी ब्लॉक लेवल के ऑफिस हैं, हमारी उसके लिए प्लानिंग चल रही है कि उनको ई ऑफिस बना दिया. उत्तराखंड वो राज्य है, जहां ई-मंत्रिमंडल है, ई गवर्नमेंट है. हमारे ऑफिस भी ई ऑफिस होंगे. विधानसभा में भी हम ई -विधानसभा करने जा रहे हैं और तमाम जो हमारे कार्यालय हैं, उनके लिए हमने अपने आईटी डिपार्टमेंट को कहा है कि आप प्लानिंग करिए और उन्हें हम ई- ऑफिस बनाएंगे. ई-लर्निंग के सवाल पर उन्होंने कहा कि कोरोना अचानक आई आपदा है. निश्चित रूप से आगे हमको सोचना पड़ेगा कि विपरीत परिस्थितियों में भी .जो कामकाज हैं, होते रहें.
ये पूरा इंटरव्यू आप यहां देख सकते हैं--