लखनऊः उत्तर प्रदेश में इस वक्त जिला पंचायत चुनाव की गहमा-गहमी है. इसी बीच खबर आई कि गोरखपुर से साधना सिंह निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुनीं गईं. साधना सिंह के लिए ये एक रिकॉर्ड है कि वह पहली ऐसी शख्सियत हैं जो लगातार दूसरी बार अध्यक्ष बनी हैं, लेकिन गोरखपुर के नजरिए से देखें तो एक रिकॉर्ड इससे भी बड़ा है. यह रिकॉर्ड इसलिए खास है, क्योंकि गोरखपुर में हमेशा जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर महिलाएं काबिज रही हैं. यह भी अपने आप में इतिहास रहा है.
महिला आरक्षित सीट का असल मतलब
भारत के लोकतंत्र को मजबूत बनाने और इसमें आधी आबादी की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर देने की राह आसान नहीं रही है. सत्ता को पुरुषवाद से बचाने के लिए विशेष महिला आरक्षित सीट की व्यवस्था लाई गई, जिसमें यह तय कर दिया गया कि कुछ सीटों से सिर्फ महिलाएं ही प्रत्याशी के तौर पर खड़ी हो सकती हैं.
हालांकि इस सचाई से सभी वाकिफ हैं कि इस व्यवस्था का काला सच कुछ और ही है. पुरुष उम्मीदवार, जो इस नियम के कारण सत्ता में सीधे तौर पर नहीं आ पाते हैं, वह अपनी पत्नियों या घर की ही अन्य किसी महिला सदस्य को आगे करके सत्ता में बने रहने का रास्ता समझते थे.
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सिर्फ नाम की रह जाती है महिलाओं के हाथ में कमान
यानी कि महिलाओं के लिए आरक्षित सीट सिर्फ इतने भर के लिए रह गई थी कि कम से कम प्रधानी, या जिला पंचायत की अध्यक्षी घर में ही रहे. लोकतंत्र की नींव कहे जाने वाले ग्राम प्रधानों के चुनावों में प्रधानपति शब्द यूं ही नहीं पैदा हुआ है. पंचायत वेब सिरीज इसी सच को उभार कर लाती है, जहां प्रधान तो महिला है, लेकिन सारा कामकाज उनके पति देखा करते हैं. गोरखपुर की जिला पंचायत सीट इस मामले में अलग रही है.
गोरखपुर ने रिकॉर्ड किया है कायम
खैर, इसी इतिहास पर वापस लौटते हैं तो रिकॉर्ड बताते हैं कि गोरखपुर में पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद से गोरखपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष की कमान आधी आबादी (महिला) के ही हाथ में रही है. यह इतिहास इस बार भी बरकरार रहा. जबकि इस बार गोरखपुर जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट सामान्य हुई थी.
ऐसे में यह कयास थे कि 26 साल बाद इस सीट पर कोई पुरुष अध्यक्ष बनेगा, लेकिन साधना सिंह के निर्विरोध चुने जाने के बाद यह तय हो गया कि छठवीं बार भी जिला पंचायत अध्यक्ष की कमान महिला ही संभालेगी. इस पहले इन पांच बार में पहले तीन बार सपा, एक बार बसपा और एक बार भाजपा से जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं.
एक नजर अब तक अध्यक्षों पर
शोभा साहनी-भाजपा 1995 से 2000
सुभावती पासवान-सपा 2000 से 2005
चिंता यादव-सपा 2005-2010
साधना सिंह-बसपा 2010 से 2015
गीतांजलि यादव- सपा 2015 से 2020
साधना सिंह- भाजपा 2021-2026 (निर्विरोध निर्वाचन)
साधना सिंह की सियासी पैठ
साधना सिंह राजनीतिक खानदान से आती हैं. उनके श्वसुर वीर बहादुर सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे. पति फतेह बहादुर सिंह सिंह भाजपा से विधायक हैं और कैंपियरगंज विधानसभा क्षेत्र से 1991 से लगातार चुनाव जीत रहे हैं. फतेहबहादुर सिंह पहले यूपी सरकार में वन व औद्योगिक मंत्री रह चुके हैं. साधना भी दूसरी बार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतकर आई हैं.
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