मुंबईः महाराष्ट्र की सियासत में सीएम कुर्सी के लिए पैदा हुआ गतिरोध अभी जारी है और 25 दिन से हर रोज इस राज्य से चौंकाने वाले बयान और हैरान करने वाल घटनाक्रम सामने आ रहे हैं. बुधवार सुबह एनसीपी प्रमुख और प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात ने इस पूरे सीन में फिर से दिलचस्पी बढ़ा दी है. हालांकि इस मुलाकात के लिए कहा तो यह गया है कि यह किसानों की समस्या को लेकर की गई एक आम मुलाकात है, लेकिन राजनीतिक गतिरोध के बीच अचानक हुई इस गुफ्तगू के कई मायने निकलकर आ रहे हैं. सबसे अधिक संभावना को इसी बात की जताई जा रही है कि भाजपा का शीर्ष अमला भले ही स्वीकार न करे लेकिन महाराष्ट्र में सरकार बनाने की दौड़ से कभी बाहर नहीं हुआ था.
मुलाकात को लेकर शरद के बोल
शुरुआत यहीं से करते हैं कि एनसीपी प्रमुख ने शरद पवार ने इस मुद्दे पर क्या राय रखी. हुआ ऐसा कि शरद पवार ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा और इसमें उन्होंने किसानों की फसल खराब होने का जिक्र किया. उन्होंने लिखा कि बारिश के कारण मराठवाड़ा, विदर्भ सहित पूरे महाराष्ट्र में किसानों को नुकसान हुआ है. उन्होंने इसका डाटा जुटाकर भेजने की बात कही और लिखा कि अभी राज्य में राष्ट्रपति शासन है और आपका तुरंत हस्तक्षेप जरूरी है.
यह पत्र उन्होंने भेजा इसके बाद बुधवार को बुलावा भी आ गया और संसद भवन में दोनों नेताओं की बातचीत भी हुई. इस दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद रहीं. बैठक के बाद पवार ने भी कहा कि वह किसानों की समस्या को लेकर मिले थे. हालांकि महाराष्ट्र में जारी सियासी नूराकुश्ती के बीच इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक गली में चर्चाएं ही चर्चाएं हैं.
सरकार बनाने की बात पर बोले पवार, भाजपा-शिवसेना से पूछो
इस मुलाकात से पहले शरद पवार ने बुधवार को जो बयान दिया वह थोड़ा रहस्यमयी था. अब नए पैटर्न पर देखें तो इस रहस्य की परतें खुलती मिलेंगी. दरअसल पिछले कुछ दिनों में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की महागठबंधन की सरकार बनाने की कवायद तेज हुई थी. इस बीच शरद पवार ने यह बयान देकर कि सोनिया गांधी से सरकार बनाने को लेकर उनकी कोई चर्चा नहीं हुई है.
यह बयान कांग्रेस के साथ-साथ शिवसेना के लिए भी परेशान करने वाला था. जब पवार से पूछा गया कि शिवसेना के साथ सरकार बनाने के क्या तैयारी है तो उन्होंने कहा- मुझे नहीं पता भाजपा-शिवसेना से पूछो, दोनों साथ थे. इस तरह के बयान का मतलब कहीं ऐसा तो नहीं कि भाजपा-एनसीपी अंदर खाने बात कर रहे थे और अब किसानों का मुद्दा उठाकर सामने बात करने आए हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने की थी एनसीपी की तारीफ
सोमवार को संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था. इस दौरान विपक्षी दलों ने सरकार के तरीकों पर सवाल उठाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी. हंगामा बढ़ने के दौरान कुछ घंटे सत्र को रोकना पड़ा. इसके बाद जब सत्र शुरू हुआ तो प्रधानमंत्री बोलने के लिए खड़े हुए. पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत एनसीपी और बीजद की तारीफ से की. कहा कि इन दोनों दलों का अनुशासन अनुकरणीय है.
एनसीपी ने खुद से तय किया है कि विरोध करने के लिए वह वेल में नहीं जाएंगे. इससे न उनकी राजनीति पर असर पड़ता है और न हमारी, बल्कि एक अनुशासन और मर्यादा बनी रहती है. इस तारीफ में भी नए बनते समीकरणों की चर-अचर राशि खोजनी चाहिए.
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पवार को मिल सकती है पावर, बन सकते हैं राष्ट्रपति
चर्चाओं पर ही भरोसा कर लें तो प्रधानमंत्री और एनसीपी प्रमुख की मुलाकात के मायने कुछ और आगे के निकल कर आ रहे हैं. कहा जा रहा है कि शरद पवार से एनसीपी के कुछ सांसदों ने भाजपा के साथ जाने की अपील की है. यह भी चर्चा है कि अगर एनसीपी सरकार बनाने के लिए भाजपा से हाथ मिलाती है तो राज्य मंत्रिमंडल में तो उसे कई अहम पद मिलेंगे ही केंद्र में भी पार्टी को 3 अहम पद दिए जाएंगे. आगे की बात यह है कि मौजूदा राष्ट्रपति का कार्यकाल जुलाई 2022 में खत्म हो रहा है. इसके बाद भाजपा राष्ट्रपति पद के लिए शरद पवार का नाम आगे बढ़ा सकती है.
शिवसेना का दावा, गुरुवार तक बाधा दूर
इस पूरे घटनाक्रम के बीच शिवसेना का दावा करना कम नहीं हो रहा है. संजय राउत हर बार कोई नई बात ले आते हैं, शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि गुरुवार तक सभी बाधाएं दूर हो जाएंगी. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि सभी बाधाएं खत्म हो गई हैं और कल तक स्थिति साफ हो जाएगी.
उन्होंने पवार और पीएम मोदी की मुलाकात को लेकर जारी अटकलों पर भी रोक लगाने की कोशिश की. राउत ने दो टूक अंदाज में कहा कि पार्टी के अंदर एनसीपी से गठबंधन को लेकर कोई हिचक नहीं है.
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भाजपा ने कहा था, हम ही सरकार बनाएंगे
देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफा देने के बाद भाजपा ने कहा था कि वह सरकार बनाने की दौड़ से बाहर है. इस बयान पर कायम दिख रही भाजपा अभी पांच दिन पहले कुर्सी दौड़ में वापस आने की संभावना जताई थी. महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने बीते शुक्रवार को कहा था कि हमारे पास 14 निर्दलीय विधायकों संग 119 का समर्थन है. इसलिए सरकार हम ही बनाएंगे.
अगर इस बात को मानें और आज के घटनाक्रम की तुलना करें तो निकलकर आएगा कि कहीं न कहीं संभावना थी कि भाजपा अंदर ही अंदर सत्ता में वापसी के रास्ते बना रही थी. हालांकि यह सारे रास्ते मंजिल की ओर किस हद तक जाते हैं, यह देखना बाकी है.
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