आखिर क्यों पीएम मोदी शाहीन बाग के गद्दारों को बर्दाश्त कर रहे हैं? जानिए 6 प्रमुख कारण

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में 40 दिनों से भी ज्यादा समय से देश विरोधी प्रदर्शकारियों का जमावड़ा लगा हुआ है. देश के दिल में बैठकर देश के खिलाफ नारे लगाए जा रहे हैं. सड़क जाम से आम लोग भी परेशान हो रहे हैं. लेकिन इन शाहीन बाग के इन अराजकतावादियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. जानिए क्या है इसकी वजह-

Written by - Anshuman Anand | Last Updated : Jan 27, 2020, 05:49 PM IST
    • शाहीन बाग का प्रदर्शन इसलिए इतने दिनों से चल रहा है.
    • शाहीन बाग से हो रही है देशद्रोहियों की पहचान
    • राष्ट्रविरोधी तत्वों का जमावड़ा बन गया है शाहीन बाग
    • राष्ट्रवादी मीडिया पर हो रहा है हमला
    • उन्मादी मजहबी भीड़ तिरंगे और संविधान की आड़ ले रही है
आखिर क्यों पीएम मोदी शाहीन बाग के गद्दारों को बर्दाश्त कर रहे हैं? जानिए 6 प्रमुख कारण

नई दिल्ली: शाहीन बाग एक बार फिर देश विरोधी और एक खास तरह के धर्मांध मजहबी नारों से गूंज रहा है. लेकिन इसके खिलाफ सरकार को जो कार्रवाई करनी चाहिए वह नहीं हो रही है. ये देखकर बहुत से राष्ट्र प्रेमियों को आश्चर्य हो रहा है. 

क्योंकि वो देख चुके हैं कि बगल में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने चंद घंटों में लखनऊ में शाहीन बाग जैसा ड्रामा बंद करा दिया था. उन्हें लगता है कि आखिर दिल्ली में मोदी सरकार हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठी है? 

ये है इसकी मूल वजह-

1. बिलों से निकल कर बाहर आ रहे हैं देश विरोधी जहरीले आतंकी सांप
केन्द्र सरकार ने शाहीन बाग में देश विरोधियों के जमावड़े को जो छूट दी है. ये उसी का नतीजा है कि पूरे देश के राष्ट्रविरोधी जहरीले सांप निकल निकल कर बाहर आ रहे हैं. उनके देश तोड़ने वाले घातक इरादों का खुलासा हो रहा है. 

जामिया के शरजील इमाम ने अपनी मूर्खता में असम को तोड़ने की बात कहकर इन गद्दारों के असली इरादों को सामने ला दिया है. 

2. तिरंगे और संविधान की आड़ में छिपे अराजकतावादी गुंडों के चेहरों की पहचान

शाहीन बाग में जब प्रदर्शन की शुरुआत हुई तो तिरंगे लहराए जा रहे थे. संविधान की प्रस्तावना पढ़ी जा रही थी. ऐसा जताया जा रहा था जैसे यहां इकट्ठा हुए आंदोलनकारी संविधान बचाने के लिए इकट्ठा हुए हैं. उनकी मंशा बेहद पाक साफ है. यह लोग केन्द्र सरकार को ही कठघरे मे खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे. 

लेकिन जैसे जैसे आंदोलन आगे बढ़ता गया. इसका बदसूरत धर्मान्ध कट्टरपंथी चेहरा सामने आ गया. आखिरकार मंच से ही मजहबी कट्टरपंथी नारे लगाए जाने लगे. आतंकवादियों के समर्थन, जेहाद और इस्लाम की बातें की जाने लगी. 

अगर सरकार ने शाहीन बाग में शुरु में ही कार्रवाई कर दी होती तो शायद देश को पता नहीं चलता कि संविधान की आड़ लेकर कितने देश विरोधी गद्दार अंदर बैठे साजिश कर रहे हैं. 

3. विपक्षी दलों का आतंकी समर्थक चेहरा खुला
शाहीन बाग के देश विरोधियों को भाजपा के सिवा लगभग हर विपक्षी राजनीतिक दल ने समर्थन दिया. कांग्रेस ने शशि थरुर, दिग्विजय सिंह जैसे अपने वरिष्ठ नेताओं को यहां देश विरोधियों का हौसला बढ़ाने भेजा. 

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने समर्थन जताया. उनके साथी मनीष सिसौदिया खुलकर शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों का साथ दे रहे हैं. आम आदमी पार्टी का विधायक अमानतुल्लाह एक वीडियो में देश तोड़ने की धमकी देने वाले शरजील इमाम के साथ मंच साझा करता हुआ दिखाई दे रहा है.

वामपंथी दलों का चेहरा तो खुलकर सामने आ चुका है. उनके बारे में तो अब दुनिया जान चुकी है. लेकिन कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल जैसी राजनीतिक पार्टियां खुलकर देश के विरोध में उतरे शाहीन बाग के गद्दारों के समर्थन में हैं. 

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4. मीडिया में छिपे देश विरोधी तत्वों की पहचान

CAA का विरोध जब से शुरु हुआ है. तब से मीडिया और बुद्धिजीवी चेहरे लगाए कट्टरपंथियों के चेहरों से नकाब उतरना शुरु हो गया है.  ये लोग बता रहे है कि किस तरह धर्मांध लोग अपनी मजहबी रणनीति को उदारवादी बयानों की आड़ में आगे बढ़ा रहे थे. अब इन चेहरों का खुलासा हो रहा है. 

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ये वही शाहीन बाग है जहां कट्टपंथियों का समर्थन करने वाले पत्रकारों का तो स्वागत होता है. लेकिन अगर कोई सच जानने का इच्छुक वहां जाए तो उसके साथ बदसलूकी की जाती है और उसे पीटा जाता है. 

शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रवादी विचारधारा पत्रकारों से विशेष चिढ़ है-

यहां तक कि शाहीन बाग का सच जानने की इच्छुक अकेली महिलाओं को भी नहीं बख्शा जाता-  

यहां तक कि शाहीन बाग के गद्दारों को देश के राष्ट्रीय मीडिया दूरदर्शन से भी आपत्ति है. शाहीन बाग में दूरदर्शन की टीम को भी नहीं बख्शा गया. 

5. बिकाऊ प्रदर्शनकारियों का खुलासा

शाहीन बाग के वाकये से एक और दिलचस्प बात ये पता चली है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक ऐसा वर्ग भी मौजूद है, जिसे ना तो किसी विचारधारा से मतलब है और ना ही किसी मुद्दे से. उसे पैसों का लालच देकर या बहकाकर बड़ी आसानी से किसी भी तरह के धरना प्रदर्शन में लाया जा सकता है.

शाहीन बाग में मौजूद महिलाओं को ये भी पता नहीं होता कि वह किसलिए प्रदर्शन कर रही है. उन्हें शायद बस उस पैसे से मतलब है जो दिन भर प्रदर्शन के बाद उन्हें मिलते हैं. 

6. देश भर के मजहबी कट्टरपंथियों के इकट्ठा होने का सबूत

शाहीन बाग के देशद्रोही जमावड़े ने ये साबित कर दिया है कि केन्द्र सरकार की 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की कोशिश के खिलाफ पूरे देश के मजहबी कट्टरपंथी इकट्ठा हो गए हैं और कांग्रेस उन्हें सपोर्ट कर रही है. ज़ी मीडिया के हाथ लगे दस्तावेजों से ये खुलासा हुआ है कि केरल का अतिवादी संगठन पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया, जो प्रतिबंधित संगठन 'सिमी' की जगह पर बनाया गया है, वह शाहीनबाग के प्रदर्शनकारियों की फंडिंग कर रहा है. खास बात ये है कि इस पूरे मामले में कांग्रेस का साफ हाथ नजर आ रहा है. क्योंकि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और अधिवक्ता कपिल सिब्बल का नाम इसमें प्रमुखता से लिया जा रहा है. 

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ये सभी सनसनीखेज खुलासे पिछले 40 दिनों के दौरान ही हुए हैं. शाहीन बाग के राष्ट्रविरोधी जमावड़े को शुरु में ही कुचल देना बेहद आसान था. लेकिन ऐसा कर दिया गया होता तो देश में जगह जगह पनप रहे इन भारत विरोधियों की पहचान नहीं हो पाती. 

अब वक्त आ गया है कि इन्हें इनकी सही जगह दिखा दी जाए.   

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