Solar system Mystery: जानिए एक ऐसी जगह, जहां होती है हीरों की बारिश

चमचमाते हुए बेशकीमती हीरों (Diamonds) को हासिल करने की ख्वाहिश भला किसकी नहीं होती. लेकिन हीरे बेहद दुर्लभ होते हैं. इसलिए सभी इसे हासिल नहीं कर सकते. लेकिन एक स्थान ऐसा भी है. जहां बारिश की बूंदों की तरह हीरे बरसते हैं.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 16, 2020, 08:34 AM IST
    • हमारे सौरमंडल में होती है हीरों की बारिश
    • जानिए शनि और बृहस्पति पर कैसे बरसते हैं हीरे
Solar system Mystery: जानिए एक ऐसी जगह, जहां होती है हीरों की बारिश

नई दिल्ली: हमारे सौरमंडल (Solar System) में शनि (Saturn) एक रहस्यमय ग्रह है. यह एक खास किस्म के वलय से घिरा होता है. वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि शनि ग्रह पर हीरों की बारिश होती रहती है. कुछ ऐसा ही माहौल बृहस्पति (Jupiter) ग्रह पर भी होता है. 

इस वजह से शनि पर होती है हीरों की बरसात 
शनि ग्रह का आकार हमारी पृथ्वी से 9 गुना बड़ा है. यह हमारे सौरमंडल का दूसरा बड़ा और भारी ग्रह है. जो कि सूर्य से 140 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर है. शनि ग्रह को सूर्य की परिक्रमा करने में 30 वर्ष लग जाते हैं. अर्थात् शनि पर दिन और रात 30 वर्ष का होता है. 
शनि ग्रह के वायुमंडल में मीथेन गैस के बादल होते हैं. अब अंतरिक्ष की विद्युत उर्जा इन मीथेन के बादलों से टकराती है, तो मीथेन गैस के अणुओं से कार्बन मुक्त हो जाता है. जब यह कार्बन शनि के गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे आता है तो वहां के उच्च तापमान और वायुमंडलीय दबाव के कारण कड़े ग्रेफाइट के रुप में बदल जाता है. इन हीरों का आकार 1 सेंटीमीटर के 1 मिलीमीटर तक होता है. 

वैज्ञानिकों का दावा है कि हीरों की ऐसी ही बरसात सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति पर भी होती है. क्योंकि शनि की ही तरह बृहस्पति ग्रह पर भी कार्बन का बड़ा भंडार मौजूद है. 
कैसे खुला ये राज?
दरअसल शनि और बृहस्पति के वायुमंडल और वातावरण पर शोध का काम अमेरिका की अंतरिक्ष एजेन्सी नासा के जेट प्रोपेल्शन लेबोरेट्री में चल रहा है. जहां इन ग्रहों के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है. इस काम में डॉ. केविन व्रेन्स नाम के वैज्ञानिक लगे हुए थे. जिन्होंने इन दोनों ग्रहों से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करके यह निष्कर्ष निकाला है कि इन दोनों ही ग्रहों पर क्रिस्टर रुपी कार्बन भारी मात्रा में मौजूद है. जो कि उच्च तापमान और वायुमंडलीय दबाव के कारण हीरों के रुप में बदल जाता है. 
हजारों टन हीरों की बरसात
धरती पर हीरे गहरी कोयले की खदानों में पाए जाते हैं. जहां उच्च दबाव और तापमान के कारण कोयला रुपी कार्बन हीरे में तब्दील हो जाता है. लेकिन शनि और बृहस्पति ग्रहों पर ऐसा नहीं होता. यहां पर हर साल हजारों टन हीरों की बरसात होती है. इन दोनों ग्रहों पर धरती की तरह हीरा कोई दुर्लभ वस्तु नहीं है. 
डॉ. केविन व्रेन्स ने अमेरिका के कोलेराडो में डिविजन फॉर प्लैनेटरी साइंसेज(Devision of planatery sciences) की सालाना बैठक में रखे गए अपने शोधपत्र में यह अहम बात बताई थी. 
उनके शोधपत्र के मुताबिक शनि और बृहस्पति पर बरसने वाले हीरे इन ग्रहों के दहकते हुए ज्वालामुखीय केन्द्र में जाकर पिघल जाते हैं. 
शनि ग्रह पर अक्सर भयानक तूफान आते ही रहते हैं. वहां कार्बन के काले बादल घिरे होते हैं. वहां का तापमान बेहद ज्यादा होता है. जो कि कार्बन के कणों को पहले ग्रेफाइट और फिर हीरे में बदल देता है. 
अभी शनि और बृहस्पति ग्रह पर मनुष्य की यात्रा शुरु नहीं हुई है. जब यह सिलसिला जारी होगा तो शायद धरती पर हीरे दुर्लभ नहीं रहेंगे. 

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