कोरबाः 21वीं सदी, विज्ञान-तकनीक का युग और महाशक्ति बनने की ओर देश, शर्मनाक है कि उन्नति का लगातार दंभ भरने वाले समय में आज भी बीमार और अस्पताल की न दूरी कम हुई है और न ही दुविधा ही. सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं तक भी उनकी पहुंच नहीं है. ऐसे में या तो बीमार और जरूरतमंद अस्पताल पहुंच नहीं पाते हैं या फिर रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. सबसे अधिक समस्या गर्भवतियों के लिए होती है.
रास्ते में ही हो गया बच्चे का जन्म
ऐसा ही एक वाकया कोरबा (छ्त्तीसगढ़) से आया है. यहां एक गर्भवती महिला को परिवारी जन खाट पर लेटा कर अस्पताल पहुंचाना पड़ा. इसके लिए उन्हें पांच किलोमीटर पैदल चलना पड़ा. इस दौरान रास्ते में ही बच्चे का जन्म हो गया. यह मामला पाली ब्लॉक के सुनाईपुर गांव का है. बताया गया कि सड़क खराब होने की वजह से एंबुलेंस यहां तक नहीं पहुंच पाती है.
प्रसूता ने दिया स्वस्थ बालक को जन्म
जानकारी के मुताबिक, गुरुवार की सुबह यहां रहने वाले रघुनाथ धनुहार की गर्भवती पत्नी सुशीला बाई को प्रसव पीड़ा हुई तो गर्भवती महिला को खाट में उठाकर घर से जैसे ही निकले थे कि रास्ते में ही डिलीवरी हो गई. प्रसूता ने एक स्वस्थ बालक को जन्म दिया.
डिलीवरी हो जाने के पश्चात गर्भवती की हालत अति गंभीर हो जाने पर आनन-फानन में महतारी एक्सप्रेस '102' से संपर्क साधने की कोशिश की गई, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया.
बीमार को ऐसे ही ले जाते हैं अस्पताल तक
हालांकि कुछ देर बाद महतारी एक्सप्रेस को फोन लगा और महतारी एक्सप्रेस आ गई. एंबुलेंस पोटपानी तक ही पहुंच पाई, क्योंकि इससे आगे का रास्ता वाहन निकलने लायक नहीं था. ऐसे में सुशीला बाई को उसके पति ने एक अन्य ग्रामीण की मदद से खाट पर लेटाकर किसी तरह पोटापानी तक पहुंचाया.
यहां खड़ी महतारी एक्सप्रेस से सुशीला बाई को पाली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया. लोगों ने बताया कि गांव में किसी के बीमार होने पर इसी तरह खाट पर लिटाकर अस्पताल पहुंचाना होता है. कई बार लोग दम भी तोड़ देते हैं.
पानी-पानी बिहार, हां, मैं हूं नीतीश कुमार
बीमार महिला को खाट पर लेकर अस्पताल पहुंचा परिवार क्योंकि गांव में अब तक सड़क नहीं है