बागी अदिति क्या फाइनली कांग्रेस छोड़ने वाली हैं?

अदिति पार्टी महासचिव प्रियंका की सबसे करीबी हैं. उनका ही रुख अगर कांग्रेस के प्रति इस तरह का है तो यह बचे-खुचे समर्थकों को भी नकारात्मक संदेश देगा. गौर करने वाली बात है, इस बार उन्होंने सीधे करीबी प्रियंका वाड्रा को निशाने पर लिया है

Written by - Vikas Porwal | Last Updated : May 20, 2020, 03:38 PM IST
    • अदिति पहली भी कर चुकी हैं पार्टी की खिलाफत
    • 370 का समर्थन, कांग्रेस को घेरना पहले भी रहा है जारी
बागी अदिति क्या फाइनली कांग्रेस छोड़ने वाली हैं?

लखनऊ: अदिति सिंह, कांग्रेस विधायक, सीट रायबरेली. मौजूदा दौर में कांग्रेस इन तीनों ही संज्ञा शब्दों को एक साथ देखती है तो सिर्फ उसके हाथ बेबसी लगती है. सबसे अधिक बेबसी कांग्रेस को मुख्यधारा में लौटा लाने की कोशिश में जुटीं प्रियंका वाड्रा के हाथ लगती है. क्योंकि कभी किसी जमाने में उन्होंने ही अपनी इस प्रत्याशी का हाथ पकड़-पकड़ कर प्रचार किया था.

 

अब स्थिति ये है कि अदिति जब-तब हाथ से हाथ छुड़ा लेने के मूड में दिखती हैं. 

अदिति बोलीं, बसें थीं तो राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र में क्यूं नहीं लगाई
हुआ यह है कि कांग्रेस की इस 'बागी' सिंह ने फिर से मुंह खोल दिया है और अपनी ही पार्टी पर बरस पड़ी हैं. रायबरेली से कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह ने ही इस पूरे मसले पर अपनी पार्टी के रुख की कड़ी आलोचना की है. अदिति सिंह ने कहा है कि ये क्रूर मजाक है.

उन्होंने एक ट्वीट किया है, जिसमें खुली आवाज में लताड़ लगाई है. उन्होंने लिखा है कि 'आपदा के वक्त ऐसी निम्न सियासत की क्या जरूरत, एक हजार बसों की सूची भेजी, उसमें भी आधी से ज्यादा बसों का फर्जीवाड़ा, 297 कबाड़ बसें, 98 ऑटो रिक्शा व एबुंलेंस जैसी गाड़ियां, 68 वाहन बिना कागजात के, ये कैसा क्रूर मजाक है, अगर बसें थीं तो राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र में क्यूं नहीं लगाई.'

सीएम योगी की तारीफ भी की
अदिति ने एक और ट्वीट लिख कर कांग्रेस को घेरा. इस ट्वीट में उन्होंने सीएम योगी की तारीफ भी की. लिखा कि कोटा में जब UP के हजारों बच्चे फंसे थे तब कहां थीं ये तथाकथित बसें, तब कांग्रेस सरकार इन बच्चों को घर तक तो छोड़िए,बार्डर तक ना छोड़ पाई,

तब सीएम यूपी ने रातों रात बसें लगाकर इन बच्चों को घर पहुंचाया, खुद राजस्थान के सीएम ने भी इसकी तारीफ की थी. 

 

लेकिन अदिति के ये तेवर कोई पहली बार तो नहीं
अदिति सिंह इस तरह के तेवर पहले भी कई बार दिखा चुकी हैं, बल्कि ऐसे मौके भी आए हैं कि जब लगा कि वह जल्द ही कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा के खेमें में जाने वाली हैं. बात है अक्टूबर 2019 की. वह समय था जब महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव का दौर था और यूपी में उपचुनाव होने थे. 

विधायक ने कहा था-बेवजह का मुद्दा
इसी कठिन समय में एक दिन अदिति सीएम योगी से मिलने जा पहुंचीं. सियासी गलियारों में तो हूल उठ गई. कांग्रेस इस नाजुक वक्त में मुश्किल में पड़ गई. महाराष्ट्र-हरियाणा बचाएं कि अदिति को संभालें, खैर,  मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने तीखी प्रतिक्रया दी और नोटिस जारी करते हुए उन पर कार्रवाई की बात कही थी.

मामला बढ़ते देख अदिति ने कहा था कि सभी विधायक अपने क्षेत्र की समस्याएं बताने के लिए मुख्यमंत्री से मिलते रहते हैं. मैं भी यहां सिर्फ इसलिए ही गई. यह कोई मुद्दा बनाने की बात नहीं है. 

370 हटाने का किया था समर्थन
5 अगस्त को जब केंद्र सरकार ने कश्मीर के अनुच्छेद 370 में बदलाव किया था तो कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने 6 अगस्त को इसका समर्थन कर दिया. उनका यह रवैया पार्टी लाइन से बिल्कुल अलग हटकर था, क्योंकि कांग्रेस लगातार इस मामले में भाजपा सरकार को घेरने पर जुटी थी.

यहां तक कि राहुल गांधी ने खुद कश्मीर जाने की कोशिश की थी और वहां मानवाधिकार का उल्लंघन किए जाने के आरोप लगाए थे. इस मौके पर अदिति सिंह ने कहा था कि वह अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर सरकार का समर्थन करती हैं, इससे कश्मीर के लोगों को मुख्य धारा में शामिल होने में मदद मिलेगी.

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विधानसभा के विशेषसत्र में पहुंचीं थीं
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र में अदिति सिंह अचानक पहुंच गईं और सभी को चौंका दिया. 3 अक्टूबर को यहां आकर उन्होंने कहा कि वह दलगत राजनीति की भावना से ऊपर उठकर यहां महात्मा गांधी पर अपने विचार रखने आई.

इस मौके पर उन्होंने जिला पंचायत रायबरेली चुनाव के मौके पर मुख्य़मंत्री की ओर से की गई कार्रवाई का आभार भी जताया था. इस तरह उन्होंने एक बार फिर भाजपा की ओर अपने झुकाव का संकेत दिया था.

प्रियंका पर सीधे किया वार
इसके अलावा भी अदिति सिंह गाहे-बगाहे अपनी ही पार्टी लाइन से अलग हटकर किए जाने वालों कारनामों से चर्चा में रहती ही हैं. सियासी जानकार उनके इस तेवर के पीछे किसी बड़े तूफान की सुगबुगाहट का अंदाज हमेशा लेते रहे हैं.

अदिति पार्टी महासचिव प्रियंका की सबसे करीबी हैं. उनका ही रुख अगर कांग्रेस के प्रति इस तरह का है तो यह बचे-खुचे समर्थकों को भी नकारात्मक संदेश देगा. गौर करने वाली बात है, इस बार उन्होंने सीधे करीबी प्रियंका वाड्रा को निशाने पर लिया है. इसके क्या मायने हैं भविष्य ही बताएगा. 

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