नई दिल्ली: क्या कोरोना ने बचाई कमलनाथ की कुर्सी? जी हां मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता गंवाने की बारी आई, तो कमलनाथ सरकार कोरोना की दुहाई दे दी. लेकिन उनका ये पैंतरा अब काम नहीं आने वाला है. क्योंकि कमलनाथ को राज्यपाल लालजी टंडन ने चिट्ठी लिखकर अल्टीमेटम दे दिया है.
कमलनाथ को राज्यपाल लालजी टंडन की चिट्ठी
कमलनाथ सरकार को मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने चिट्ठी लिखकर मंगलवार को ही फ्लोर टेस्ट करने को कहा है. ऐसे में चिट्ठी में ये भी लिखा है कि फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ तो माना जाएगा कि सरकार ने विश्वास खो दिया है. राज्यपाल की चिट्ठी कमलनाथ सरकार के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है.
सत्ता गंवाने की बारी आई, तो कोरोना की दुहाई?
सवाल ये है कि क्या मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता गंवाने की बारी आई, तो सरकार ने दी कोरोना की दुहाई? क्योंकि कोरोना की वजह से सोमवार को विधानसभा में कमलनाथ सरकार का फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ है. कोरोना का हवाला देकर विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी गई. इस बीच राज्यपाल ने कमलनाथ सरकार को सख्त आदेश सुनाया है.
अब सुप्रीम कोर्ट में कमलनाथ का फ्लोर टेस्ट?
हालांकि, कमलनाथ के इस पैंतरे के खिलाफ मध्य प्रदेश के सियासी संकट पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. भोपाल में राज्यपाल लालजी टंडन के सामने 106 विधायकों की बीजेपी ने परेड करा दी. शिवराज सिंह ने कहा कि कमलनाथ सरकार के पास बहुमत नहीं है.
कोरोना ने बचाई कमलनाथ की कुर्सी?
कांग्रेस के इस पैंतरे पर एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि "अब ये अस्थिर सरकार कोरोना से भी नहीं बचा सकती मेरे भाई इसके लिए स्थिर सरकार की जरुरत है." वहीं कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि "कांग्रेस की सरकार गिराने के लिए तो बड़ी साजिश रची गई है और धीरे-धीरे वो साजिश को अंजाम देने के लिए कोशिश भी जारी है."
बहुमत से है 'हाथ धोना', कब तक बचाएगा कोरोना?
खुद सीएम कमलनाथ ने विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने पर कहा कि "मैंने तो राज्यपाल को जब मैं मिला था तो लिखित कहा था कि मैं फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हूं. जो ये कैद विधायक हैं इनको छुटकारा मिले." जबकि केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इसे लेकर कहा है कि "कांग्रेस पार्टी इस बात को समझ ले कि बिना खजाने की खजांची नहीं बना जा सकता. बिना नंबर के नंबरदार नहीं कहे जा सकते. इसलिए उन्हें आत्मचिंतन करना चाहिए और जमीन की हकीकत को समझना चाहिए."
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कोरोना के सहारे किसी तरह से कमलनाथ सरकार ने संजीवनी पाने की कोशिश की थी, लेकिन उसका ये पैंतरा अब और काम नहीं आएगा. क्योंकि राज्यपाल की हिदायत के बाद सीएम कमलनाथ और कांग्रेस दोनों की मुसीबत बढ़ने वाली है.
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