टोंक पहुंचे सचिन पायलट के स्वागत में उमड़ा जनसमूह, विरोधियों को दिखाई ताकत

सचिन पायलट ने कांग्रेस में वापसी करके भले ही अपमान और सियासी हार का कड़वा घूंट पी लिया हो लेकिन अशोक गहलोत समेत सभी राजनीतिक विरोधियों को वे अपनी ताकत दिखाने से नहीं चूंक रहे.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 20, 2020, 01:51 PM IST
    • सचिन पायलट के स्वागत में उमड़ा जनसमूह
    • रास्ते में 100 किलोमीटर तक लगी रही लोगों की कतार
    • पायलट से जा चुका है कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद
टोंक पहुंचे सचिन पायलट के स्वागत में उमड़ा जनसमूह, विरोधियों को दिखाई ताकत

 

जयपुर: राजस्थान की राजनीति में बड़ा अहम बदलाव ये हुआ है. अब तक जो सत्ता अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच बंटी हुई थी, अब उस सत्ता की चाभी केवल अशोक गहलोत के पास है.

अशोक गहलोत ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार से अपना सबसे बड़ा कांटा निकाल दिया है. सचिन पायलट अब राजस्थान सरकार का हिस्सा नहीं हैं. इसके बावजूद वे अपनी ताकत राजनीतिक विरोधियों को दिखा रहे हैं और ये बता रहे हैं कि उन्होंने केवल कदम पीछे हटाये हैं और सही समय का इंतजार कर रहे हैं.

टोंक में सचिन पायलट का हुआ शाही स्वागत

सचिन पायलट टोंक से विधायक हैं. राजनीतिक उठापटक के बाद पहली बार पायलट अपने विधानसभा क्षेत्र गए हैं. सचिन पायलट की एक झलक पाने के लिए करीब 100 किलोमीटर लंबे रास्ते में लोग सड़क किनारे खड़े हुए थे. 1 घंटे का सफर 4 घंटे में पूरा हुआ. टोंक पहुंचकर सचिन पायलट ने कहा कि जो कुछ हुआ वह अतीत की बात है अब सबकुछ हमने कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी पर छोड़ दिया है.

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रास्ते में 100 किलोमीटर तक लगी रही लोगों की कतार

आपको बता दें कि जयपुर से टोंक के बीच 100 किलोमीटर तक जयपुर टोंक हाईवे पर जश्न का नजारा था. कहीं लोग डीजे पर नाच रहे थे तो कहीं सचिन पायलट आई लव यू के नारों के साथ वह काफिले में पैदल चल रहे थे. बड़ी संख्या में महिलाएं भी आज सड़कों पर उतरीं.

जगह-जगह सचिन पायलट का स्वागत किया गया. सचिन पायलट ने इस शानदार स्वागत को अपने विरोधियों को दिखाया और साबित कर दिया है कि राजस्थान सरकार को चलाने के लिए गहलोत को उनकी जरूरत पड़ेगी. सचिन पायलट अब भी अशोक गहलोत के लिए प्रासंगिक बने हुए हैं.

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पायलट से जा चुका है कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद

राजस्थान में सचिन पायलट से उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की पदवी छिन चुकी है. अशोक गहलोत ने उन्हें निकम्मा और नकारा तक कह दिया था. इन सभी अपमानों का घूंट पीकर सचिन पायलट को कांग्रेस में वापसी करने के लिए विवश होना पड़ा क्योंकि उनके पास कोई और रास्ता नहीं था. इसके बावजूद पायलट का शाही स्वागत बहुत कुछ बयां करता है. डेढ़ साल पहले के चुनावी रैली के बाद पहली बार कोरोना की पाबंदियों के बावजूद सचिन पायलट ने 100 किलोमीटर लंबा राजनीतिक जलसा किया.

 

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