भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को विश्वास मत हासिल कर लिया. सुबह 11 बजे विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई. चूंकि कोरोना की वजह से कांग्रेस का एक भी विधायक सदन में नहीं पहुंचा, इसलिए शिवराज ने सर्वसम्मति से विश्वास मत जीत लिया. राज्य में 15 साल लगातार सरकार चलाने वाली भाजपा ने 15 महीने बाद ही सत्ता में फिर से वापसी कर ली. विशेष सत्र में सभी विधायकों ने ‘हां’ कहकर विश्वास मत प्रस्ताव पारित कर दिया.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले स्पीकर एनपी प्रजापति ने इस्तीफा दे दिया था. इस वजह से विधायक जगदीश देवड़ा ने कार्यवाही पूरी कराई. इसके बाद विधानसभा का सत्र 27 मार्च सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दिया गया.
वर्तमान में मध्य प्रदेश की विधानसभा की स्थिति
वर्तमान में राज्य की विधानसभा में कुल 206 सीटें हैं. अगर कांग्रेस के 92 और 2 निर्दलीय भी हाजिर रहते तो वोटिंग होती और बहुमत साबित करने के लिए भाजपा को 104 वोटों की जरूरत पड़ती. अभी भाजपा के पास 107 विधायक हैं. शिवराज सिंह चौहान ने विश्वास मत पेश करते हुए कहा कि राज्यपाल ने सरकार को 15 दिन में बहुमत साबित करने को कहा है, इसलिए हम विश्वास मत पेश कर रहे हैं. विपक्ष के रूप में केवल निर्दलीय, सपा और बसपा के विधायक ही मौजूद थे.
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6 महीने में होंगे खाली सीटों पर चुनाव
विधानसभा में 230 सीटें हैं. 2 विधायकों के निधन के बाद 2 सीटें पहले से खाली हैं. सिंधिया समर्थक कांग्रेस के 22 विधायक बागी हो गए थे. इस तरह कुल 24 सीटें खाली हैं. इन पर 6 महीने में चुनाव होने हैं.
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चौथी बार मुख्यमंत्री बनकर शिवराज ने बनाया रिकॉर्ड
एक साल, 3 महीने और 6 दिन बाद शिवराज सिंह चौहान फिर से प्रदेश के चौथी बार मुख्यमंत्री बन गए. उन्हें राज्यपाल लालजी टंडन ने राजभवन में हुए एक सादे समारोह में राज्य के 19वें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई. शिवराज चौथी बार इस पद पर काबिज होने वाले प्रदेश के एक मात्र नेता हैं. उनके नाम ये अनोखा रिकॉर्ड है.
आपको बता दें कि आगामी उप चुनावों में भाजपा को 9 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी क्योंकि इससे भाजपा को पूर्ण बहुमत मिल जाएगा. भाजपा के 107 विधायक हैं. 4 निर्दलीय उसके समर्थन में आए तो भाजपा+ की संख्या 111 हो जाती है. कुल 230 सीटों वाली विधानसभा में 116 पर पूर्ण बहुमत है.