Daily Panchang 13 फरवरी 2021 के शुभ मुहूर्त, व्रत और त्योहार

आज सूर्य कुम्भ में आ गए हैं. संक्रांति का पुण्य आज ही है, गुरु भी उदय हो गए हैं. आज शाम चन्द्र दर्शन कर माता-पिता का आशीर्वाद लें भाग्य में परिवर्तन होगा.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 13, 2021, 07:42 AM IST
  • नक्षत्र मंडल में शतभिषा नक्षत्र को 24वां नक्षत्र माना जाता है
  • गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन मां तारा देवी की पूजा की जाती है
Daily Panchang 13 फरवरी 2021 के शुभ मुहूर्त, व्रत और त्योहार

नई दिल्लीः आज शनिवार और 13 फरवरी 2021 की तारीख है. आज से माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है. पंचांग के अनुसार बहुत ही शुभ दिन है क्योंकि आज सूर्य कुम्भ में आ गए हैं. संक्रांति का पुण्य आज ही है, गुरु भी उदय हो गए हैं. आज शाम चन्द्र दर्शन कर माता-पिता का आशीर्वाद लें भाग्य में परिवर्तन होगा.

इसके अलावा आज की के दिन आनंद योग भी है. ऐसे में चलिए जानते हैं आज के पंचांग में और क्या-क्या है खास, जो  बता रहे हैं आचार्य विक्रमादित्य-

दिन- शनिवार
मास- माघ मास
तिथि- शुक्ल पक्ष, द्वितीया तिथि
आज सूर्य कुम्भ में आ गए हैं. संक्रांति का पुण्य आज ही है, गुरु भी उदय हो गए हैं. आज शाम चन्द्र दर्शन कर माता-पिता का आशीर्वाद लें भाग्य में परिवर्तन होगा.

आज का नक्षत्र-  शतभिषा नक्षत्र
आज का योग- आनंद योग
आज का व्रत-  गुप्त नवरात्र का दूसरा दिन
आज का शुभ मुहूर्त
आज दोपहर 12:14 से  12:54 तक.  इस समय में कोई भी काम करना शुभ फलदायक होता है.
आज का राहुकालः आज सुबह 09:50 से दोपहर 12:54 तक राहुकाल रहेगा. इस दौरान आपको कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए.

शतभिषा नक्षत्र क्या है
नक्षत्र मंडल में शतभिषा नक्षत्र को 24वां नक्षत्र माना जाता है. 'शतभिषा' का अर्थ है 'सौ भीष्' अर्थात 'सौ चिकित्सक' अथवा सौ चिकित्सा. 'श्त्तारक' इस नक्षत्र का एक वैकल्पिक नाम है जिसका शाब्दिक अर्थ है 'सौ सितारे'. कुछ ज्योतिषियों ने इसकी दृष्टि मानी है और कुछ के मान से इसका अस्तित्व नगण्य है तो दृष्टि कैसी? यदि राहु मेष लग्न में उच्च का हो तो इसके परिणाम भी शुभ मिलते हैं. 

गुप्त नवरात्र का दूसरा दिन
गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन आज मां तारा देवी की पूजा की जाती है. देवी को आद्यशक्ति का दूसरा स्वरूप माना जाता है. तारा देवी का स्थान दस महाविद्याओं में भी अग्रणी है.

भौतिक जगत में देखें तो हम सभी की मां तारा देवी का ही स्वरूप है. इसीलिए अपनी जननी की निरंतर सेवा देवी आदिशक्ति की ही सेवा बन जाती है. कहा भी गया है माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी महान है. 

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