Haridwar Mahakumbh 2021: एक तीर्थ जो महाकुंभ में स्नान करने आता है

देवभूमि के नाम से विख्यात हरिद्वार यूं ही देव भूमि नहीं है, बल्कि यह वह स्थल है जहां गंगा अपने दोनों आराध्यों महादेव और महाविष्णु के चरण स्पर्श करती है. हरिद्वार से थोड़ी ही दूर स्थित कनखल तीर्थ, जो की प्राचीन नगर सभ्यता का भी परिचायक है

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 12, 2021, 09:44 AM IST
  • सती दाह के बाद शिव के क्रोध से निर्जन हो गया था कनखल क्षेत्र
  • देवी गंगा के अवतरण के बाद पुनः सजीव हो गया यह तीर्थ
Haridwar Mahakumbh 2021: एक तीर्थ जो महाकुंभ में स्नान करने आता है

नई दिल्लीः Haridwar Mahakumbh-2021 का आगाज होने वाला है. हिमालय की पुत्री गंगा की पावन अवरिल धारा में आध्यात्म का स्नान होगा. सदियों से चला आ रहा एकता का यह समागम न सिर्फ धार्मिक लिहाज से अपना महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक लिहाज से यह वह ऐतिहासिक दस्तावेज की तरह है जिसने सदियों से भारत की परंपरा को पहचान दी है.

Kumbh Snan (कुंभ स्नान) एक सहज पूजन पद्धति है और इतना ही आसान तीर्थ है, जिसके लिए श्रद्धालुओं को जहमत नहीं उठानी पड़ती है.
बस गंगाजल में एक डुबकी और सूर्यदेव को आचमन दिया और हो गई पूजा. 

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जानिए कनखल तीर्थ के बारे में
देवभूमि के नाम से विख्यात हरिद्वार यूं ही देव भूमि नहीं है, बल्कि यह वह स्थल है जहां गंगा अपने दोनों आराध्यों महादेव और महाविष्णु के चरण स्पर्श करती है. हरिद्वार से थोड़ी ही दूर स्थित कनखल तीर्थ, जो की प्राचीन नगर सभ्यता का भी परिचायक है. यहां शिव पार्वती के जीवन से जुड़े कई घटनाक्रम घटे हैं. भगवान शिव के जीवन में घटी सबसे बड़ी घटना सती दहन का साक्षी है कनखल तीर्थ. शिव के क्रोध और सती दाह के कारण यह क्षेत्र निर्जन हो गया था. 

फिर जब एक युग के बाद गंगा की धारा यहां से गुजरी तो कनखल का श्राप भी खत्म हो गया. यह फिर से हरा-भरा हो गया. महादेव ने उसी अपनी कृपा का पात्र बनाया. कहते हैं कि कनखल तीर्थ भी कुंभ के दौरान हरिद्वार में आकर स्नान करता है और पवित्र होता है. 

यह है सती दाह की कथा
सती ने अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध शिव से विवाह किया था. इससे क्षुब्ध होकर सती के पिता, दक्ष ने अपने यज्ञ समारोह में शिव एवं सती के सिवाय अन्य सभी को आमंत्रण दिया. सती अपने पिता के यज्ञ समारोह में भाग लेने के लिए पिता के भवन में पहुंच गईं थीं.

वहां दक्ष ने उनका और महादेव का घोर अपमान कर दिया. इससे दुखी सती ने यज्ञ कुण्ड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए. तब क्रोधित शिव ने वीरभद्र को दक्ष का वध करने तथा यज्ञ का विनाश करने कनखल भेजा. वीरभद्र ने यहां जो क्रोध की अग्नि जलाई तो कनखल उसमें झुलस गया. 

इसलिए पवित्र है कनखल
क्रोधित शिव सती की मृतदेह उठाकर सम्पूर्ण पृथ्वी में भ्रमण करने लगे. जिससे सब ओर हाहाकार मच गया. अंततः शिव के क्रोध को शांत करने के लिए विष्णु ने चक्र द्वारा सती की देह को कई भागों में भंग कर दिया. सती की देह के विभिन्न अंग जिन स्थलों पर गिरे, उन सर्व स्थलों पर शक्ती पीठ की स्थापना की गयी.

बाद में सती ने हिमालय की पुत्री, पार्वती के रूप में पुनर्जन्म प्राप्त किया. तब उन्होंने कनखल के पास ही आकर शिव की ओर घोर तपस्या की थी.

तीर्थों में तीर्थ हरिद्वार
तीर्थों में तीर्थ हरिद्वार में महाकुंभ के दौरान सभी तीर्थों का जल आकर मिल जाता है. इसीलिए इस तीर्थ कुंभ की मान्यता श्रद्धालुओं में अधिक ही है. एक बार फिर आध्यात्म की इसी गंगा में स्नान का पर्व निकट है. जल्द ही हरिद्वार जय गंगे और हर हर महादेव के घोष से गूंज उठेगा.   

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