जगन्नाथ पुरीः कोरोना काल में जगन्नाथ रथ यात्रा की परंपरा टूटने से बच गई. पहले सुप्रीम कोर्ट ने इसके आयोजन के लिए इनकार किया था, लेकिन बाद में सशर्त अनुमति दी गई. इसके बाद मंगलवार धूमधाम व भव्यता से यात्रा निकाली गई. श्रद्धालुओं व भक्तों ने अपने प्रभु भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और छोटी बहन सुभद्रा का रथ खींचा.
तय की गई श्रद्धालुओं की संख्या
रथयात्रा का आयोजन भारत की सांस्कृतिक धरोहर व पहचान रहा है. सदियों से चली आ रही इस परंपरा में लोग बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं. हालांकि इस बार भव्य भीड़ नहीं जुटाई गई. इसके साथ ही श्रद्धालुओं की संख्या पर प्रतिबंध लगाया गया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 500 से अधिक लोगों को रथ खींचने की अनुमति नहीं दी गई थी.
पुरी के महाराज ने निभाई परंपरा
आयोजन के बीच दोपहर के समय पुरी के राजा गजपति महाराज मंदिर पहुंचे. दरअसल रथयात्रा से पहले एक रस्म के मुताबिक महाराज छेड़ा पहरा की एक रस्म निभाते हैं. इसके तहत वह रथ को झाड़ू से बुहारते हैं. जिस झाड़ू से वह रथ बुहारते हैं वह खास होती है. उसकी मूठ सोने की होती है. सदियों से महाराज का परिवार इस रस्म को निभाता आ रहा है.
#WATCH Odisha: The King of Puri Gajapati Maharaj Dibyasingha Deb sweeps the chariots with a broom having a gold handle, as part of the ‘Chhera Pahanra’ ritual, during the #RathYatra at Puri's Jagannath Temple. pic.twitter.com/THZ10CenOg
— ANI (@ANI) June 23, 2020
जगन्नाथ रथयात्रा: सुप्रीम कोर्ट ने पलटा फैसला, सीमित संख्या में हो यात्रा का आयोजन
राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री ने दी शुभकामनाएं
रथयात्रा की शुरुआत से पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी शुभकामनाएं दी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, 'रथ यात्रा के पावन अवसर पर सभी देशवासियों, विशेष रूप से ओडिशा में प्रभु जगन्नाथ के श्रद्धालुओं को बधाई. मैं कामना करता हूं कि प्रभु जगन्नाथ की कृपा, कोविड-19 का सामना करने के लिये हमें साहस व संकल्प-शक्ति प्रदान करे और हमारे जीवन में स्वास्थ्य और आनंद का संचार करे.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पावन-पुनीत अवसर पर आप सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं. मेरी कामना है कि श्रद्धा और भक्ति से भरी यह यात्रा देशवासियों के जीवन में सुख, समृद्धि, सौभाग्य और आरोग्य लेकर आए. जय जगन्नाथ.'