महाकाल की महिमा है सबसे अलग

मध्य प्रदेश के उज्जैन में भगवान महाकाल का दरबार सजता है. जो अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं. भगवान महाकालेश्वर के दर्शन के लिए पूरी दुनिया के भक्तों का मेला लगा रहता है.

Last Updated : Oct 9, 2019, 12:01 PM IST
    • उज्जैन में है महाकाल मंदिर
    • दुनिया में सबसे अनोखी है इस मंदिर की परंपराएं
    • जानिए महाकाल मंदिर की पूरी कहानी
    • देश का प्रमुख ज्योतिर्लिंग है महाकाल मंदिर
 महाकाल की महिमा है सबसे अलग

उज्जैन: देश के सर्वप्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है 'महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग'. जहां पर दक्षिणमुखी शिवलिंग स्थापित है. यहां हर रोज ब्रह्म मुहुर्त में सुबह भोलेनाथ का भस्म से श्रृंगार किया जाता है.

सबसे अनोखे हैं महाकाल
महाकाल में स्थित महादेव का शिवलिंग पूरी दुनिया में सबसे अनोखा है क्योंकि यह विश्व का एक मात्र ऐसा शिव मंदिर है जहाँ दक्षिणमुखी शिवलिंग प्रतिष्ठापित है। यह स्वयंभू शिवलिंग है। जो बहुत जाग्रत है। इस वजह से यहाँ तड़के 4 बजे भस्म आरती करने का विधान है। प्रचलित मान्यता के अनुसार यहां श्मशान की ताजी चिता की भस्म से आरती की जाती थी। लेकिन वर्तमान में कंडो की भस्म से आरती होती है। यहां भस्म आरती के दर्शन केवल पुरुष ही कर सकते हैं. भस्म आरती से पहले भगवान शिव को जल चढाया जाता है. इस मंदिर में गणेश, पार्वती और कार्तिकेय की प्रतिमा को भी पश्चिम, उत्तर और पूर्व में स्थापित किया गया है। दक्षिण की तरफ भगवान शिव के वाहन नंदी की प्रतिमा भी स्थापित की गयी है।

महाकाल मंदिर के कड़े हैं नियम
महाकाल के इस मंदिर में दर्शन कई नियम कानून बनाए गए हैं. जैसे  महिलाओं को आरती के समय घूंघट करना पड़ता है. इसके साथ ही आरती के समय पुजारी भी मात्र एक धोती में आरती करते हैं. अन्य किसी भी प्रकार के वस्त्र को धारण करने की मनाही रहती है. महाकाल की भस्म आरती के पीछे एक यह मान्यता भी है कि भगवान शिवजी श्मशान के साधक हैं, इस कारण से भस्म को उनका श्रृंगार-आभूषण माना जाता है. इसके साथ ही ऐसी मान्यता है कि ज्योतिर्लिंग पर चढ़े भस्म को प्रसाद रूप में ग्रहण करने से रोग दोष से भी मुक्ति मिलती है.

महाज्योतिर्लिंग में होती है महाकाल की गिनती
महाकाल का यह मंदिर रूद्र सागर सरोवर के किनारे पर बसा हुआ है. कहा जाता है की अधिष्ठाता देवता, भगवान शिव ने इस लिंग में स्वयंभू के रूप में बसते है, इस लिंग में अपनी ही अपार शक्तियाँ है और मंत्र-शक्ति से ही इस लिंग की स्थापना की गयी थी. इस पवित्र तीर्थस्थान को 18 महा शक्तिपीठ में भी शामिल किया गया है. इस स्थान पर जाने से इंसान के शरीर को आंतरिक शक्ति मिलती है.

दूषण असुर का वध करने के लिए प्रकट हुए थे भगवान
लोक कथाओं के अनुसार, दूषण नामक असुर से लोगों की रक्षा के ल‌िए भोलेनाथ यहां महाकाल के रूप में प्रकट हुए थे. दूषण का वध करने के बाद भक्तों ने श‌िवजी से उज्‍जैन में ही वास करने की प्रार्थना की तो भगवान शिव महाकाल ज्योत‌िर्ल‌िंग के रूप में विराजमान हुए.

उपरी मंजिल पर स्थित है नाग चंद्रेश्वर मंदिर
ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के सबसे ऊपरी तल पर बना है नागचंद्रेश्वर मंदिर. इस मंदिर में प्रवेश करते ही दाईं ओर भगवान नागचंद्रेश्वर की मनमोहक प्रतिमा के दर्शन होते हैं. शेषनाग के आसन पर विराजित शिव-पार्वती की सुंदर और  शिव-शक्ति का साकार रूप वाली प्रतिमा के दर्शन कर श्रद्धालु धन्य हो जाते हैं.

 

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