विषदेवी' का अलौकिक आशीर्वाद

मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद भगवान शिव ने जो हलाहल विष पिया था उसे भगवान शिव के कंठ में मनसा देवी ने ही रोका था. मान्यताएं ये भी कहती है कि शिव-पार्वती के प्रेम नृत्य के दौरान जो तेज़ शिव जी के मस्तिष्क से निकला था उसे मानसरोवर ने धारण किया था और रक्षा नागों ने की थी और वो ही तेज़ आगे चलकर मां मनसा देवी के नाम से प्रसिद्ध हुआ.

Written by - Kulbhaskar Ojha | Last Updated : Nov 7, 2020, 02:47 PM IST
  • हरिद्वार से माता हिंदुस्तान के शहर-शहर तक पहुंच चुकी हैं
  • अब करीब-करीब देश के हर राज्य में मनसा देवी का एक प्रसिद्ध मंदिर हैं
विषदेवी'  का अलौकिक आशीर्वाद

नई दिल्लीः मनसा देवी यानि की शिवांश जो शिव के मस्तिष्क से उत्पन्न तेज़ से अवतरित हुईं. पौराणिक मान्यता है कि माता मनसा देवी शिव पुत्री हैं लेकिन उनके जन्म को लेकर-अलग-अलग पुराणों और धर्म ग्रंथों में अलग-अलग मान्यताए मिलती हैं.

कहीं उन्हें कश्यप मुनि की पुत्री बताया जाता है तो कहीं कुछ और लेकिन एक बात जो हर धर्मग्रंथ में एक ही लिखी है कि वो मनुष्यों के साथ-साथ नागों की देवी हैं और उनके अंदर इतना ज़हर है कि दुनिया के सारे सांपों के ज़हर को मिला दिया जाए तब भी उसकी बराबरी नहीं कर सकता.

मनसा देवी का रहस्य
मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद भगवान शिव ने जो हलाहल विष पिया था उसे भगवान शिव के कंठ में मनसा देवी ने ही रोका था. मान्यताएं ये भी कहती है कि शिव-पार्वती के प्रेम नृत्य के दौरान जो तेज़ शिव जी के मस्तिष्क से निकला था उसे मानसरोवर ने धारण किया था और रक्षा नागों ने की थी और वो ही तेज़ आगे चलकर मां मनसा देवी के नाम से प्रसिद्ध हुआ.

कहा जाता है कि मनसा देवी के विष के ताप से उनके मुंहबोले भाई वासुकी भी एक बार घबरा गए थे, जिसके बाद भगवान शिव ने उनको सीधे शिशु से किशोर बना दिया था ताकि वो ज़हर का ताप सह सकें. शिव अपरंपार उनकी लीलाएं अपरंपार.

कालसर्प का काल मनसा देवी
कुंडली में काल सर्प दोष हो तो उसका सभी ज्योतिष और पंडित एक ही हल बताते हैं और वो है मां मनसा देवी की पूजा. साथ ही सांपों से जान का खतरा हो या नागों का विष काल बनने वाला हो तो सबका अंत केवल मां मनसा देवी की पूजा ही कर सकती है ऐसी मान्यताएं हैं.

विष का पान करके भी मां सबकी इच्छाएं पूरी करने वाली हैं. तभी तो इन्हें मनोकामना देवी भी कहा जाता है.

मनसा देवी के दरबार के रहस्य
मां के हर मंदिर में एक रहस्यमयी और अलौकिक पेड़ होता है, कहा जाता है कि मंदिर के इस पेड़ से सीधे माता का संपर्क होता है और इस पेड़ पर धागा या चुनरी बांधने से भक्त की हर मनोकामना पूरी हो जाती है.


इतना ही नहीं कहते हैं किसी भगवान को उलटे हाथ से जल, फूल या प्रसाद चढ़ाया तो वो नाराज़ होकर श्राप दे सकते हैं लेकिन मनसा देवीके बारे में मान्यता है कि वो उन्हीं भक्तों की पूजा स्वीकार करती हैं जो उलटे हाथ से करते हैं.

इसके पीछे एक गहरा रहस्य है बस इतना समझ लीजिए की देवी बनने के लिए मनसा देवी को अहंकार का त्याग करना पड़ा था और उस अहंकार को हमेशा त्यागने के लिए मां ने अपनी पूजा की इस विधि को दुनिया में प्रचलित किया.

हरिद्वार में है माता का शक्तिपीठ
हरिद्वार से माता हिंदुस्तान के शहर-शहर तक पहुंच चुकी हैं.अब करीब-करीब देश के हर राज्य में मनसा देवी का एक प्रसिद्ध मंदिर हैं.और उनके भी अपने रहस्य हैं लेकिन भक्तों को माता के रहस्य से नहीं बल्कि उनके आशीर्वाद से फर्क पड़ता है खासतौर से जब माता केवल एक धागा बांधने से भक्त का कष्ट समझ जाती हो. 

एक मान्यता और है कि अगर आपकी मन्नत पूरी हो गई तो आप मंदिर आकर उस धागे को खोलेंगे जरूर. इसीलिए हर भक्त मुराद पूरी होते ही मंदिर आता है और धागे को खोलकर माता को अपने कष्टों से मुक्ति दिलवाता है.

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