शनिदेव की पूजा में रखें ये सावधानियां

दुख दरिद्र से छुटकारा पाने के लिए शनिदेव की आराधना की जाती है. लेकिन उनकी पूजा में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना पड़ता है. जिनके बिना पूजा अधूरी होती है. आईए आपको बताते हैं शनिदेव की पूजा करते समय बरती जाने वाली कुछ खास बातें-

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 21, 2020, 07:29 PM IST
शनिदेव की पूजा में रखें ये सावधानियां

शनि को यम, काल, दु:ख, दारिद्र और मंद कहा जाता है.  किसी भी परेशानी, संकट, दुर्घटना, आर्थिक नुकसान के होने पर माना जाता है कि शनि की अशुभ छाया है.  इसलिए भक्त शनिदेव को हमेशा प्रसन्न रखने की कोशिश करते हैं.

लापरवाही से नाराज होते हैं शनिदेव
 शनिदेव खुश रहे और उनकी कृपा बनी रहे, इसके लिए शनि की पूजा-अर्चना की जाती है. शनिदेव की आराधना में सबसे जरुरी हैं कि पूरे सम्मान और विधि के साथ ही उनकी पूजा की जाती है। भगवान शनि थोड़ी सी भी लापरवाही से नाराज हो जाते हैं. शनि की पूजा के लिए शास्त्रों में नियम बताए गए हैं.

शनि को पसंद नहीं लाल रंग
माना जाता है कि शनिदेव को लाल रंग पसंद नहीं है इसलिए शनिवार को पूजा में भूलकर भी लाल रंग के फूल या कोई लाल सामाग्री का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. मान्यता के अनुसार लाल रंग मंगल का प्रतीक है और मंगल के साथ शनिदेव की शत्रुता है.  शनि की पूजा में हमेशा नीले या काले रंग का प्रयोग किया जाता है. लाल रंग का प्रयोग करने से शनिदेव के नाराज होने का डर रहता है.

पश्चिम है शनि की दिशा
शनि की पूजा में दिशा का विशेष महत्व होता है.  शनि को पश्चिम दिशा का स्वामी माना जाता है इसलिए शनि की पूजा करते समय इस बात का ध्यान रखना होता है कि आपका मुख पश्चिम दिशा की ओर ही होना चाहिए.  गलती से भी दूसरी दिशा में शनिदेव की पूजा भक्तों को मंहगी पड़ सकती है.  इसलिए कहा जाता है कि अगर शनि प्रसन्न हुए तो भक्तो का बेड़ा पार कर देते हैं लेकिन लापरवाही करने पर वे तुरंत दंड भी देते हैं.

शनिदेव के सामने खड़े नहीं हों और आंखों में नहीं देखें
किसी पर भी अगर शनि की दृष्टि पड़ जाती है तो उसकी परेशानियां बढ़ने लगती हैं.  ऐसे में कभी भी शनिदेव की मूर्ति के सामने खड़े होकर पूजा नहीं करनी चाहिए.  साथ ही इस बात की भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि भूलकर भी पूजा करते समय शनिदेव की आंखों में न देखे। इन बातों से भी शनिदेव नाराज हो सकते हैं.

सफेद तिल न चढ़ाएं
मान्यता के अनुसार शनिदेव की पूजा में हमेशा काले तिल और खिचड़ी का ही भोग लगाया जाता है. शनिदेव को काला तिल अर्पित करने पर व्यक्ति की कुंडली में अशुभ ग्रहों की छाया दूर हो जाती है.  भूल से भी शनिदेव को सफेद तिल नहीं चढ़ाना चाहिए.

न्याय के देवता हैं शनिदेव
शनि देवता को न्याय का देवता कहा जाता है. मान्यता है कि वह सभी के कर्मों का फल देते हैं. शनिदेव हर एक बुरे काम और गलतियों का फल मनुष्य को ज़रूर देते हैं. इसीलिए उनकी पूजा सावधानी के साथ की जानी चाहिए. अगर पूजा सही तरीके से की जाए तो इससे शनिदेव की असीम कृपा मिलती है और ग्रहों की दशा भी अच्छी हो जाती है.

तेल का दीपक जलाने में रखें सावधानी
शनिदेव को खुश करने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर कच्चा दूध चढ़ाया जाता है. शनिवार के मंदिर में सरसों के तेल का दीया जलाना भी फायदेमंद होता है. श्रद्धालुओं को ध्यान रखना चाहिए कि यह दीया शनि की मूर्ति के सामने नहीं बल्कि मंदिर में रखी शिला के सामने जलाकर रखना चाहिए.

रंक को राजा बनाते हैं शनिदेव
शनि देव का शुभ प्रभाव व्यक्ति के जीवनपर पड़ता है, तो व्यक्ति रंक से राजा बन जाता है और अगर अशुभ प्रभाव पड़ता है तो राजा से रंक बन जाता है.  शनिदेव की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करने से शनिदेव का आशीर्वाद मिलेगा और जीवन में आने वाली रूकावटें और परेशानियाँ दूर हो जाएंगी.

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