आज का पंचांगः शुरू हो रहा माघ मास, जानिए और क्या है खास

माघ की अमावस्या व पूर्णिमा तो गंगा स्नान की महत्वपूर्ण तिथियां हैं हीं, साथ ही इस महीने हर दिन भी लोग गंगा स्नान करते हैं. यह पवित्र महीना मोक्षदायी कहलाता है  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 29, 2021, 05:30 AM IST
  • आज दोपहर 12:18 से 12:54 शुभ मुहूर्त रहेगा
  • आज 10:40 से दोपहर 12:10 तक राहुकाल रहेगा
आज का पंचांगः शुरू हो रहा माघ मास, जानिए और क्या है खास

नई दिल्लीः आज शुक्रवार (Friday) को 29 जनवरी की तारीख आपके लिए नया दिन लेकर आई है. इसी के साथ यह दिन आपके लिए नई आशा लेकर आया है. आज से माघ मास (Magh Month) का शुभारंभ हो रहा है. पुराणों में माघ मास की बड़ी महत्ता गाई गई है. कहा जाता है कि संसार को रस, ज्ञान और शांति जैसी निधियां इसी मास में प्राप्त हुई थीं.  माघ की अमावस्या व पूर्णिमा तो गंगा स्नान की महत्वपूर्ण तिथियां हैं हीं, साथ ही हर दिन भी लोग गंगा स्नान करते हैं. भारतीय ज्योतिष परंपरा में पंचांग का बहुत महत्व है. इसके अनुसार निर्धारित तिथि व शुभ मुहूर्त में किसी कार्य की पूर्ति करने जरूर फल मिलता है और मनोकामना पूरी होती है. आज के क्या है विशेष, बता रहे हैं आचार्य विक्रमादित्य-

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दिन- शुक्रवार  (Friday)
मास- माघ मास
तिथि- कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि
माघ कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से ही माघ मास की शुरुआत हो जाती है.
आज का नक्षत्रः गंडमूल आष्लेषा नक्षत्र, आयुष्मान योग

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आज का शुभ मुहूर्त-

आज दोपहर 12:18 से 12:54  शुभ मुहूर्त रहेगा. इस योग में कोई भी काम करना शुभ फलदायक होता है. आज आयुष्मान योग है.
आज का राहुकालः आज 10:40 से दोपहर 12:10  तक राहुकाल रहेगा. इस दौरान आपको कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए.

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क्या है आयुष्मान योग

ज्योतिष में एक योग है जिसमें किए गए कार्य लंबे समय तक शुभ फल देते रहते हैं. जीवनभर इनका असर बने रहने के कारण इसे आयुष्मान योग कहा जाता है. इस योग की लोग बहुत प्रतीक्षा भी करते हैं. इस योग में किया गया कार्य जीवन भर सुख देने वाला होता है.

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गंडमूल आष्लेषा नक्षत्र

वैदिक ज्योतिष के अनुसार आश्लेषा नक्षत्र का स्वामी बुध ग्रह है. यह कुंडलित सांप की तरह दिखायी देता है. इस नक्षत्र के नागास / सरपस और लिंग स्री है. ज्योतिष में कई नक्षत्र शुभ होते हैं, तो कई अशुभ होते हैं. इन अशुभ नक्षत्रों को ही गंडमूल नक्षत्र कहा जाता है. शुभ और अशुभ नक्षत्र अपना अच्छा तथा बुरा प्रभाव अवश्य दिखाते हैं.  ज्योतिष शास्त्र में सभी अशुभ नक्षत्रों में से गंडमूल नक्षत्र को सबसे अधिक अशुभ माना जाता है.

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